• सीएम को एक्स पर युवा मंच ने किया पोस्ट
ब्यूरो चीफ़ सोनभद्र/ दैनिक समाज जागरण
सोनभद्र। कल भीषण गर्मी के मौसम में आदिवासी छात्राओं के जिला मुख्यालय स्थित डायट परिसर में साइकिल वितरण कार्यक्रम में घोर अव्यवस्था पर युवा मंच ने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक्स पर पोस्ट कर चिंता जताई है। समाचार पत्रों में भीषण गर्मी में तीन छात्राओं के बेहोश होने और अभिभावकों से लेकर बच्चों तक हुई परेशानियों की खबर को संलग्न कर कहा गया कि सोनभद्र हेडक्वार्टर से 150 किमी दूर तक दुर्गम क्षेत्रों में गांव बसे हैं। जहां से आवागमन बेहद मुश्किल काम है। ऐसे में साइकिल वितरण ब्लाक स्तर पर होना चाहिए। इससे छात्राओं और अभिभावकों को परेशानी से बचाया जा सकता है और उनका अनावश्यक किराया खर्च भी बचता। मांग की गई है कि इसे करके भविष्य में इस तरह की अमानवीय परिस्थिति से बचा जा सकता है।
प्रेस को जारी बयान में युवा मंच की जिला संयोजक सविता गोंड व अध्यक्ष रूबी सिंह गोंड ने कहा कि गरीबों विशेषकर आदिवासियों व दलितों के प्रति शासन व प्रशासन के उपेक्षा भरे नजरिए और कार्रवाई का परिणाम साईकिल वितरण में हुई घोर अव्यवस्था है। जहां कई घंटे देर से राज्य मंत्री पहुंचते है, मंच पर तो कूलर लगता है पर आदिवासी बच्चियों और उनके अभिभावकों के लिए एक पंखा तक नहीं लगता। यहां तक कि सुबह से बुलाई गई बच्चियों के लिए पीने के पानी और भोजन की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई थी। दरअसल नौकरशाही और सरकारों द्वारा जो नीतियां बनाई जा रही हैं वह सोनभद्र की संरचना के लिहाज से व्यवाहारिक नहीं है। पठारी-पहाड़ी इलाका और प्रदेश का दूसरे सबसे बड़े क्षेत्रफल वाले जिले में जिला मुख्यालय पर केंद्रित कार्यक्रम करने की जगह यदि इसे ब्लॉक स्तर पर किया जाता तो बेहतर रहता।
युवा मंच नेताओं ने कहा कि इस जनपद में आदिवासी छात्र-छात्राएं शिक्षा के मामले में सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। बार-बार मांग करने के बावजूद आदिवासी लड़कियों के लिए आवासीय डिग्री कॉलेज बनाने की मांग को पूरा नहीं किया गया। चकरिया और पिपरखांड में बने कौशल विकास केंद्रों को आज तक चालू नहीं किया गया। सभी तहसीलों में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज और हर ब्लॉक में आईटीआई कॉलेज खोलने और उसमें लड़कियों के लिए फैशन डिजाइनिंग, कॉस्मेटिक, ब्यूटी पार्लर, ड्रेस मेकिंग, नर्सिंग, पैरामेडिकल ट्रेंनिंग आदि क्षेत्र में पढ़ाई सुनिश्चित करने की बात भी नहीं मानी जा रही है। कहा कि अभी जो मानक साइकिल वितरण में तय किया गया है उसमें बहुत कम संख्या में ही छात्राओं को साइकिल मिल पाती है। इसलिए मांग की गई कि दलित, आदिवासी और गरीब सभी छात्राओं को साइकिल का वितरण किया जाना चाहिए।
