शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को लेकर फैक्टनेब द्वारा आयोजित किया जाएगा बड़ा आंदोलन, परीक्षा कार्य का बहिष्कार की चेतावनी
पटना ।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी आगामी 5 फरवरी को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय मुख्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन करेंगे। यह प्रदर्शन विभिन्न लंबित मुद्दों और मांगों को लेकर किया जाएगा, जिसमें प्रमुख रूप से वेतन संरचना निर्धारित कर प्रतिमाह वेतन भुगतान करने, बकाया अनुदान राशि का वजटीय उपबंध कर एकमुश्त भुगतान करने, पार्ट 2 और पार्ट 3 की उत्तर पुस्तिका के बकाया मूल्यांकन राशि का भुगतान, वर्ष 2024 में पार्ट 1, पार्ट 3 और सेमेस्टर 2 परीक्षा का बकाया केन्द्र व्यय का भुगतान, उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का पारिश्रमिक, ठहराव भत्ता, यात्रा भत्ता, सीए की दरों में बढ़ोतरी, केन्द्र व्यय की 70 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान, और शासी निकाय सदस्य के रूप में संबद्ध डिग्री महाविद्यालय के शिक्षकों को विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के तौर पर मनोनीत करने जैसी मांगें शामिल हैं।
बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय शाखा के पदाधिकारियों डॉ. रामनरेश प्रसाद (अध्यक्ष), डॉ. मणिन्द्र कुमार (उपाध्यक्ष), डॉ. रविकांत सिंह (महासचिव), और डॉ. सुमन्त कुमार सिन्हा (सचिव) ने संयुक्त बयान में बताया कि राज्य महासंघ की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार 5 फरवरी को विश्वविद्यालय मुख्यालय पर यह धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद, 10 फरवरी से 14 फरवरी तक पटना में राज्य स्तरीय आंदोलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय शाखा के सदस्य बड़ी संख्या में भाग लेंगे।
फैक्टनेब के पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी है कि बार-बार किए गए लिखित और मौखिक अनुरोधों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षाकर्मियों की मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया, तो 5 फरवरी को विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन के साथ-साथ 10 से 14 फरवरी तक राज्य स्तरीय आंदोलन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन को भी बाधित किया जाएगा, और संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में परीक्षा केंद्र के आयोजन का विरोध करते हुए परीक्षा कार्य का बहिष्कार किया जाएगा। इस स्थिति के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा, क्योंकि इसका प्रतिकूल प्रभाव छात्रों पर पड़ सकता है।
यह आंदोलन विश्वविद्यालय प्रशासन की उपेक्षा और शिक्षाकर्मियों के अधिकारों के प्रति गंभीरता की कमी को लेकर किया जा रहा है, जिससे भविष्य में विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।