पीडब्ल्यूडी के रोड में रोड़ा बना फॉरेस्ट विभाग

उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना कर रही डीएफओ, आम नागरिक धूल-डस्ट से परेशान—क्या हादसों के बाद जागेगा प्रशासन?

शहडोल। संभाग के धनपुरी नगर पालिका मुख्य मार्ग से लेकर ग्राम पंचायत बंगवार बम्होरी तक बनने वाले सड़क का काम कई महीनों से अधूरा पड़ा हुआ है। यह सड़क पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बनाई जा रही है, लेकिन लगातार अड़चनों के कारण आज तक इसका काम पूरा नहीं हो सका है।

स्थानीय नागरिकों के अनुसार, यह सड़क कई सालों से जर्जर अवस्था में थी, जिसे सुधारने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने निर्माण कार्य शुरू किया था। लेकिन, सड़क निर्माण कार्य के बीच में ही फॉरेस्ट विभाग ने अड़ंगा डाल दिया। नतीजा यह हुआ कि महीनों से सड़क अधूरी पड़ी है और इससे प्रतिदिन हजारों नागरिक धूल-डस्ट और गड्ढों से जूझ रहे हैं।

पीडब्ल्यूडी का आरोप- “डीएफओ काम नहीं करने दे रही”

जब इस मुद्दे पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि शहडोल की डीएफओ (वन मंडल अधिकारी) निर्माण कार्य नहीं होने दे रही हैं। पीडब्ल्यूडी का कहना है कि यह सड़क एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड) के द्वारा पूर्व में पी w डी विभाग के द्वारा सुपुर्द की गई थी इसके निर्माण पर पीडब्ल्यूडी ने टेंडर जारी किया था और अब फॉरेस्ट विभाग के कानूनी गांव पेज पर अड़चन आने के बाद इसके लिए आवश्यक मंजूरी भोपाल स्थित मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से भी मिल चुकी है।

भोपाल के प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय ने 17 फरवरी 2025 को आदेश जारी किया था, जिसमें साफ कहा गया था कि धनपुरी-बम्होरी मार्ग के लिए मरम्मत कार्य किया जाए। इस आदेश में 5.50 मीटर चौड़ी डामरीकृत सड़क की मरम्मत की अनुमति दी गई थी, साथ ही सड़क के किनारे 2.5-2.5 मीटर के अतिरिक्त क्षेत्र का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, पीडब्ल्यूडी के अनुसार, शहडोल की डीएफओ इस आदेश की अवहेलना कर रही हैं और सड़क का काम शुरू नहीं करने दे रही हैं।

आखिर क्यों रोक रहा है फॉरेस्ट विभाग?

अब सवाल यह उठता है कि अगर भोपाल से अनुमति मिल चुकी है, तो फिर शहडोल का वन विभाग सड़क निर्माण कार्य को क्यों रोक रहा है? क्या डीएफओ के आदेश सर्वोच्च हैं या फिर इसमें कोई और खेल चल रहा है? स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह मामला “आपसी लेन-देन” या फिर अधिकारियों की “अहम की लड़ाई” से जुड़ा हो सकता है। क्योंकि यह सड़क कोई नई नहीं है, बल्कि 50 साल पुरानी है। फिर भी, फॉरेस्ट विभाग इसे रोक रहा है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

आधे-अधूरे रोड पर रोज हो रहे हादसे

धनपुरी-बम्होरी मार्ग को ग्रामीण क्षेत्र से गुजर कर शहर को जोड़ने के लिए एक प्रमुख सड़क माना जाता है। इस रास्ते से दर्जनों ग्राम पंचायतों के लोग गुजरते हैं, साथ ही एसईसीएल की कोल खदानों की गाड़ियां भी यहां से रोज आती-जाती हैं।
लेकिन बीच में ही सड़क निर्माण का काम रुक जाने से यहां हर दिन हादसे हो रहे हैं। – गड्ढों से भरी सड़क के कारण *बाइक और साइकिल सवार गिरकर घायल हो रहे हैं।चार पहिया वाहन चालकों को भी **धूल और डस्ट से परेशानी हो रही है।पैदल चलने वालों को *धूल भरी हवा और उड़ती मिट्टी से सांस लेने में दिक्कत हो रही है। स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार के बीच कोई ‘डील’ फेल हो गई?

इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार के बीच कोई ‘सेटलमेंट’ नहीं हो पाया, इसलिए फॉरेस्ट विभाग ने सड़क निर्माण रोक दिया?
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग की तरफ से जानबूझकर अड़ंगा लगाया जा रहा है, ताकि ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी अधिकारी “समझौता” करें। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी खुद को ज्यादा ताकतवर दिखाने के लिए यह खेल खेल रहे हैं। “जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, प्रशासन नहीं जागेगा?”**

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? क्योंकि यदि यह सड़क जल्द नहीं बनी, तो किसी दिन कोई बड़ा वाहन पलट सकता है या फिर किसी मासूम की जान भी जा सकती है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि: डीएफओ को तुरंत उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए,पीडब्ल्यूडी को सड़क निर्माण कार्य तुरंत पूरा करने की अनुमति दी जाए,अगर फॉरेस्ट विभाग की कोई जायज आपत्ति है, तो उसे स्पष्ट किया जाए,इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, जिससे यह साफ हो सके कि रोड निर्माण में रुकावट की असली वजह क्या है,जनता की एक ही मांग- हमें धूल-गड्ढों से निजात चाहिए,धनपुरी-बम्होरी मार्ग की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस समस्या का त्वरित समाधान निकाले, ताकि नागरिकों को राहत मिल सके।
यदि प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर हो जाएंगे।

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