हरियाणा में बीजेपी का प्रयोग बिहार- महाराष्ट्र के लिए मैसेज है?

एक दौर था जब बीजेपी महाराष्ट्र हो या पंजाब या बिहार, जूनियर बनकर ही खुश थी लेकिन मोदी-शाह के युग में बीजेपी का कॉन्फिडेंस हाई है. वह हर सीमाओं को तोड़ते हुए आगे बढ़ रही है. अब 400 पार का नारा यूं ही नहीं दिया गया है. हरियाणा में झट से गठबंधन तोड़कर पार्टी ने बिहार और महाराष्ट्र के एनडीए सहयोगियों को भी मैसेज देने की कोशिश की है. नायब सिंह ने फ्लोर टेस्ट भी पास कर लिया है

24 घंटे में क्या कुछ हो सकता है? ज्यादा दूर की मत सोचिए हरियाणा में सरकार बदल गई. एक दिन पहले दोपहर में पीएम नरेंद्र मोदी खुद सीएम मनोहर लाल खट्टर की तारीफ कर रहे थे. उनकी बाइक पर बैठने के किस्से सुना रहे थे, दूसरे दिन दोपहर होते-होते खट्टर पूर्व सीएम हो गए. इस घटनाक्रम से कई सवाल उठते हैं. अगर सरकार में शामिल जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) से अलग होना ही था तो सीएम का चेहरा बदलने की क्या जरूरत थी? जहां कई राज्यों में सीट शेयरिंग अब तक नहीं हुई है, हरियाणा की 1-2 सीटों को लेकर चुनाव से पहले दुष्यंत चौटाला को दूर क्यों किया गया? एनडीए को विस्तार देने में लगी भाजपा ने गठबंधन टूटने क्यों दिया?

वास्तव में जिस लहर पर सवार होकर भाजपा तीसरी बार सत्ता हासिल करने का दावा कर रही है, यह उसी का प्रभाव है. इस फैसले से भाजपा ने कई मैसेज दिए हैं. विशेष रूप से बिहार और महाराष्ट्र में एनडीए में शामिल सहयोगी दलों को स्पष्ट संदेश गया है कि भगवा दल के साथ चलना है तो उसकी बात माननी होगी. भाजपा अब प्रेशर में आने वाली नहीं है. पता चला था कि जेजेपी लोकसभा सीटें मांग रही थी जबकि भाजपा सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है