रचना दर्शन मंच द्वारा 5 जनवरी 2025 को लेफ्टिनेंट कर्नल मनमोहन ठाकुर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में एक विशेष आभासी साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी काव्य पाठ पर आधारित थी, जिसमें विषय को मुक्त रखा गया था। गूगल मीट पर आयोजित इस कार्यक्रम में देश-विदेश के साहित्यप्रेमियों, कवियों और विद्वानों ने भाग लिया।
मुख्य वक्तव्य: सभा की अध्यक्षता प्रो. एस.पी. गर्ग (शिकागो) ने की, जिन्होंने कहा, “साहित्य समाज का दर्पण है। ऐसे आयोजन साहित्यिक संस्कृति को समृद्ध करते हैं।” मुख्य अतिथि प्रो. चंद्रकला (राजस्थान) ने कहा, “साहित्य और राष्ट्रभक्ति के बीच यह संबंध प्रेरणादायक है।” डॉ. रामनिवास तिवारी (मध्य प्रदेश) ने कहा, “कविता समाज में बदलाव का माध्यम है।” पुष्पा श्रीवास्तव ‘शैली’ (छत्तीसगढ़) ने कहा, “साहित्यिक चर्चाएं समाज को नई दिशा देती हैं।”
संगोष्ठी की शुरुआत माँ सरस्वती वंदना से हुई, जिसे संध्या निगम (झांसी) ने प्रस्तुत किया। डॉ. अरविंद राजपूत (उत्तर प्रदेश) ने स्वागत भाषण दिया। काव्य पाठ सत्र में देशभर के कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र आर्य (दिल्ली) ने किया और अंत में रूबी भूषण (पटना) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
रचना दर्शन मंच के संस्थापक रजनी प्रभा और संयोजक प्रो. शैलजा रोला ने संगोष्ठी को नई प्रतिभाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया। मीडिया प्रभारी रजनीकांत गिरि ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया।
यह संगोष्ठी साहित्यिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने का एक सफल प्रयास रही, जिसमें सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र प्रदान किए गए। इस संगोष्ठी में प्रमुख रूप से नावेद रजा (छत्तीसगढ़), संध्या निगम (झांसी), प्रियंका कुमारी (पटना), रजनी प्रभा, डॉ. रजनी शर्मा ‘चंदा’, बृजमोहन श्रीवास्तव ‘साथी’ (ग्वालियर), नरेंद्र कुमार (आरा), आलोक सिंह ‘गुमशुदा’, रामनिवास तिवारी (यूपी), प्रीतम कुमार झा (वैशाली), वर्षा कुमारी झा (वैशाली), गुरुदीन वर्मा (राजस्थान), विकास राजपाल (बिहार), संध्या सिंह (पुणे), डॉ. बिना सिंह रागी (यूपी), गिरिराज शर्मा (लखनऊ), मधु वशिष्ठ (फरीदाबाद), मधुमिता साहा (रांची), प्रतिभा पाण्डेय ‘प्रति’ (चेन्नई), डॉ. अनिमा श्रीवास्तव (पटना), अनामिका श्रीवास्तव, दिवाकर पाठक (झारखंड), अंशु पाठक (लखनऊ), अनीता (हरियाणा), शकील सैफी (यूपी), सूचिका श्रीवास्तव (बिहार), मीना कुमारी परिहार (पटना), डॉ. प्रो. मनीषा (बिहार), सुजाता कुमारी (मोतिहारी), रूबी भूषण (पटना), मन्शा शुक्ला (छत्तीसगढ़), और आशा झा ‘सखी’ अन्य सभी महानुभावों ने कार्यक्रम में शामिल होकर इसे सफल बनाया।