मधेपुरा।
बीएनएमयू, मधेपुरा की अंगीभूत इकाई ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में आगामी 28 दिसंबर, 2024 को “महाकाव्यों का दर्शन” विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम भारतीय दर्शन और महाकाव्यों के दार्शनिक पहलुओं पर गहरी चर्चा और विमर्श का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। देशभर के प्रतिष्ठित दर्शनशास्त्रियों का इसमें जमावड़ा होगा, जो भारतीय दर्शन को नए दृष्टिकोण से समझेंगे।
कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष एवं भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के राष्ट्रीय फेलो प्रो. रमेशचंद्र सिन्हा करेंगे। प्रो. सिन्हा, भारतीय दर्शनशास्त्र के एक प्रमुख नाम हैं और उनके योगदान को अत्यधिक सराहा जाता है।
मुख्य वक्ता होंगे प्रो. (डॉ.) अम्बिकादत्त शर्मा
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में दर्शनशास्त्र विभाग, हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (मध्यप्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष और अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के पूर्व महासचिव प्रो. (डॉ.) अम्बिका दत्त शर्मा होंगे। वे भारतीय दर्शन के गहरे अध्ययन में माहिर हैं और विशेष रूप से बौद्ध दर्शन, वेदांत दर्शन और समकालीन दार्शनिक विमर्श के प्रमुख विशेषज्ञ माने जाते हैं।
मुख्य अतिथि होंगे प्रो. शोभा निगम
इस अवसर पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) में दर्शनशास्त्र विभाग की सेवानिवृत्त अध्यक्षा प्रो. शोभा निगम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। वे भारतीय दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी पकड़ रखती हैं और उनके कार्यों का प्रभाव पूरे देश में देखा जाता है।
अध्यक्षता करेंगे प्रो. सभाजीत मिश्र
कार्यक्रम की अध्यक्षता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति और उत्तर भारत दर्शन परिषद् के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सभाजीत मिश्र करेंगे। वे भारतीय दर्शन के क्षेत्र में एक सम्मानित नाम हैं और उनके कार्यों का प्रभाव पूरे उत्तर भारत में देखा जाता है।
कार्यक्रम के अन्य प्रमुख वक्ता
इस संवाद कार्यक्रम के दौरान संपूर्ण वक्तव्य दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर द्वारा दिया जाएगा। वे भारतीय दर्शन की समग्रता पर विचार प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम का संचालन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर करेंगे, जबकि धन्यवाद ज्ञापन पटना विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्षा और दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्ष प्रो. पूनम सिंह करेंगी।
प्रतिभागियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि यह संवाद कार्यक्रम दर्शनशास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान करेगा। इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागी संवाद में सम्मिलित विद्वानों से प्रश्न भी पूछ सकेंगे। यह कार्यक्रम पूर्णतः नि:शुल्क है और इसमें शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा।
प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा की जीवनी
प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा, जो काशी की पांडित्य परंपरा से जुड़े हुए हैं, एक प्रसिद्ध दार्शनिक हैं। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (1985) और पी-एच. डी. (1988) की उपाधि प्राप्त की है। इसके अलावा, उन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से बौद्ध दर्शनाचार्य (1995) की उपाधि भी प्राप्त की है। उनकी प्रमुख कृतियाँ “भारतीयता के सामासिक अर्थ-सन्दर्भ” (2015), “बौद्ध प्रमाण दर्शन” (2007), “बौद्ध प्रमाण मीमांसा” (2019) और “भारतीय मानस का वि-औपनिवेशीकरण” (2020) हैं। प्रो. शर्मा को उनकी शोध और अध्ययन के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा रिसर्च अवार्ड (2006) और प्रणवानन्द दर्शन सम्मान (2019) शामिल हैं।
अगला संवाद सत्र
इस कार्यक्रम के तहत स्टडी सर्कल की दूसरी ऋंखला में बारह संवादों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें प्रत्येक माह एक पूर्व निर्धारित विषय पर संवाद होगा। नवंबर 2024 में “वेदांत का समाज दर्शन” पर संवाद हुआ था, जिसका मुख्य वक्ता प्रो. जटाशंकर थे।
पहले भी हो चुके हैं बारह संवाद
स्टडी सर्कल की पहली ऋंखला (अप्रैल 2022 – मार्च 2023) में बारह संवादों का आयोजन किया गया था। इन संवादों में भारत और विदेश के प्रमुख दार्शनिकों ने भाग लिया था, जिनमें प्रो. रमेशचंद्र सिन्हा, प्रो. जटाशंकर, प्रो. एन. पी. तिवारी और प्रो. पूनम सिंह जैसे प्रमुख नाम शामिल थे।
यह संवाद कार्यक्रम भारतीय दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, जो समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करेगा।