सेना से सरहद और वनों से ब्रह्मांड की होती है सुरक्षा: डॉ कौशल
सेना व वन दोनों ही पूजनीय है सेना मानव जैसी व वन प्रदूषण जैसी शत्रु से बचती है जान
उड़ीसा राउरकेला / झारखंड गारू कस्तूरबा
विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वनराखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद डॉ कौशल किशोर जायसवाल ने पुलवामा हमले में शहीदों के छठी बरसी पर उड़ीसा के बंडा मुंडा केंद्रीय विद्यालय व लातेहार के गारु स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ शहीदों के नाम थाईलैंड प्रजाति के आम के पौधे लगाते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया।

इस क्रम में उन्होंने स्कूल के सभी शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं को पर्यावरण धर्म के 8 मूल ज्ञान मंत्रों की शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या पूजन व पौधा रोपण कर किया गया जबकि समापन वृक्षों पर रक्षाबंधन कर किया गया।
वनराखी मूवमेंट के प्रणेता डॉ कौशल ने कहा कि देश की रक्षा में सेना और धरती और ब्रह्मांड की सुरक्षा में वनों का अहम योगदान होते हैं । इसलिए दोनों ही पूजनीय है । जिसके नाम पर पौधारोपण कर उन्हें याद किया गया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन रोकना है तो वनों को आग से बचाना होगा और किसानों को वृक्ष की खेती भी करनी होगी। तभी हम पर्यावरण व प्रकृति की रक्षा करने में कामयाब हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि
वृक्ष खेती को अकाल व सुखाड़ का भय नहीं होता। पौधे किसानों के लिए उनके जीवन में फिक्सड डिपॉजिट का काम करता है। जिससे उनकी आर्थिक हालातों में भी सुधार आता है और दूसरी तरफ पर्यावरण व प्रकृति की भी सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है।
प्रिंसिपल अमरपाल सिंह बराड़ व करोनोलिया ने कहा कि पर्यावरणविद डॉ कौशल के द्वारा इसके पहले भी उनके विद्यालय में पौधे लगाए गए है जो आज बड़े होकर फल फूल दरहें हैं। प्रिंसिपल ने पर्यावरणविद के कार्यों की काफी सराहना की। विद्यालय प्रबंधन की ओर से पर्यावरणविद को पुनः आने का आमंत्रण भी दिया गया। मौके पर कस्तूरबा विद्यालय के वार्डेन संगीता मंजुला टोप्पो, रेशमा लकड़ा, संजीत मिंज, विनीता कुमारी समेत प्रमुख लोग शामिल थे।