रिया आवलेकर को देश की पहली तृतीय सरकारी शिक्षिका बनने का सम्मान!


के | रवि (दादा) ,,

सिंधुदुर्ग/मुंबई : महाराष्ट्र के कोकन के सिंधुदुर्ग जिले की रिया आवलेकर ने देश में प्रथम तृतीय सरकारी शिक्षक होने का सम्मान अर्जित किया है।

इस मामले में प्रशासन ने भी उनका स्वागत किया। लेकिन प्रशासन की वजह से प्रवीण से रिया तक का मुश्किल सफर अब आसान हो गया है।
इनकी संघर्ष यात्रा बहुत कठिन है। सिंधुदुर्ग जिले के कुडाल तालुका के तुलसुली गांव के प्रवीण वारंग को बचपन से ही शिक्षा का शौक था। उनकी चाची ने उन्हें शिक्षक बनने के लिए कहा। तो प्रवीण शिक्षक बन गया। प्राइमरी स्कूल से डी.एड तक की पढ़ाई के दौरान प्रवीण को लगा कि वह एक पुरुष नहीं बल्कि एक महिला हैं। छोटा होने के कारण वह घर पर नहीं बता पा रहे थे । लेकिन मन लगातार घुसपैठ कर रहा था। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, यह भावना लिऐ की वह पुरुष नहीं बल्कि स्त्री थे, अंदर ही अंदर मजबूत होते गए। लेकिन उन्होंने अपना अस्तित्व बनाते हुए प्रवीण से रिया आवलेकर तक की यात्रा की।

प्रवीण महाराष्ट के सिंधुदुर्ग जिले के कुदल तालुका के पट गांव में एक जिला परिषद स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करते थे । उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत बचपन में ही कुछ बनकर अपना अस्तित्व बनाने के उद्देश्य से शिक्षा ग्रहण से की थी। लेकिन उनके दिमाग में एक ही बात थी कि मैं मर्द नहीं बल्कि औरत हूं। मजबूरन यह बात हिम्मत करके सिंधुदुर्ग जिले की तृतीय पक्ष कल्याण बैठक में कलेक्टर के. मंजुलालक्ष्मी को प्रवीन ने बताई । उसके बाद प्रशासन ने उन्हें उचित मदद दी। और आज वह हमारे देश की पहली तूतियापंथी सरकारी शिक्षिका हैं |