सांसद के खिलाफ 3 संगठनों की संयुक्त प्रेस वार्ता*

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देव मणि शुक्ल
ब्यूरो प्रभारी

नोएडा गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा के खिलाफ सोमवार को तीन संगठनों ने संयुक्त प्रेस वार्ता की है। दरअसल, रविवार को महेश शर्मा ने एक पत्र जारी करके अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाया था। सांसद ने पत्र में लिखा था कि तीन चिट्ठियां एक ही व्यक्ति ने लिखी हैं। तीनों संगठनों ने कहा, “महेश शर्मा तीनों पत्रों की फोरेंसिक जांच करवाएं। पत्र लिखने वाले हम उपलब्ध हैं। ओरिजिनल पत्र भी हम लेकर आए हैं। अब अगर वह जांच नहीं करवाएंगे तो हम उनके हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।”
गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा के खिलाफ राजपूत उत्थान सभा के प्रदेश अध्यक्ष धीरज ठाकुर, अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के जिला अध्यक्ष श्याम सिंह भाटी एडवोकेट और भारतीय किसान यूनियन ‘भानु’ पर राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतिनिधि सत्यवीर सिंह ने पत्र हैं। सांसद का आरोप है, “यह तीनों चिट्ठियां किसी एक ही व्यक्ति ने एक ही पेन से और एक ही स्थान पर बैठकर लिखी हैं। यह सबकुछ त्यागी समाज को मेरे खिलाफ उकसाने के लिए किया जा रहा है। एक राजनेता, एक अफसर और एक यूट्यूब चैनल मिलकर यह सब कर रहे हैं। इस मामले की जांच की जानी चाहिए।”

राजपूत उत्थान सभा के प्रदेश अध्यक्ष धीरज ठाकुर ने कहा, “सांसद डॉ.महेश शर्मा ने मुझे पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जेल भिजवाया था। हम एक सामाजिक संगठन चलाते हैं। हमारा कर्तव्य आम आदमी की भावना को जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाना है। जब हम आम आदमी की समस्याएं डॉक्टर महेश शर्मा के सामने उठाते हैं तो वह हमें जेल भिजवाते हैं। हमारे ऊपर साजिश रचने का आरोप लगाने लगते हैं। हमारा श्रीकांत त्यागी से कोई सरोकार नहीं है। श्रीकांत त्यागी ने गलती की, उसके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। ठीक इसी तरह की गलती डॉक्टर महेश शर्मा ने की है। जब श्रीकांत त्यागी को गाली देने पर जेल भेजा गया है, तो डॉक्टर महेश शर्मा ने राष्ट्रीय चैनलों पर गौतमबुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को गालियां दी हैं। इनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। हम एक बार फिर दोहरा रहे हैं, अगर गौतमबुद्ध नगर पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार ने सांसद के खिलाफ एक्शन नहीं लिया तो हमें मजबूर होकर आंदोलन करना पड़ेगा। अदालत का दरवाजा भी खटखटाया पड़ेगा।”
किसान यूनियन ‘भानु’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह के प्रतिनिधि ठाकुर सतपाल सिंह ने कहा, “जिस हैंडराइटिंग से यह पत्र लिखा गया है, उसी हैंडराइटिंग से वर्ष 2009 के चुनाव में डॉक्टर महेश शर्मा के लिए समर्थन पत्र भी लिखा गया है। उस समर्थन पत्र की प्रति डॉ.महेश शर्मा के पास उपलब्ध होगी। दोनों पत्रों की हैंडराइटिंग मिलाकर खुद ही समझ जाएं कि चिट्ठियां किसने लिखी हैं। जब हम समर्थन देकर महेश शर्मा को सांसद बना सकते हैं तो हमें सवाल पूछने का अधिकार भी है। महेश शर्मा ने पुलिस कमिश्नर को गाली दी है। जिसकी वजह से वह आलोचनाओं का शिकार हो रहे हैं। दूसरी ओर त्यागी समाज उनके खिलाफ लगातार रोष जाहिर कर रहा है। ऐसे में सांसद किसी दूसरे पर लांछन लगाकर अपने बचाव की कोशिश कर रहे हैं।” ठाकुर सत्यपाल सिंह ने आगे कहा, “महेश शर्मा इन तीनों पत्रों की जांच करवा लें। उन्हें फॉरेंसिक एनालिसिस करवाना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करवाएंगे तो हम उनके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मैं व्यक्तिगत रूप से उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करूंगा।”
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के जिलाध्यक्ष श्यामसिंह भाटी ने कहा, “सांसद डॉ.महेश शर्मा को गलतियां करने की आदत पड़ चुकी है। अगर उनके खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो वह साजिश और षड्यंत्र का आरोप लगाने लगते हैं। यह कोई पहला वाकया नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं। सांसद पत्र लिखकर और मिथ्या आरोप लगाकर इमोशनल कार्ड चल रहे हैं। सही मायने में जिस तरह श्रीकांत एक महिला को गाली देने का आरोपी है, ठीक उसी तरह डॉक्टर महेश शर्मा गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह को गाली देने के आरोपी हैं। जब श्रीकांत त्यागी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कड़ी कार्रवाई की गई है तो सांसद के खिलाफ क्यों नहीं की जा रही है? अगर सांसद के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो हम आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे। पत्रों पर सवाल उठाकर वह केवल जनमानस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे। जिसमें वह कामयाब नहीं हो पाए।”