मुस्कुराइये क्योंकि ये मनुष्यों को परमात्मा द्वारा प्राप्त अनमोल वरदान है – मंजू

दिल के प्यार से परमात्मा का ध्यान करने वाले भक्त भगवान को अति प्रिय है

समाज जागरण ब्यूरो

बिलासपुर। प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में श्रीमद् भगवद्गीता पर प्रवचन देते मंजू दीदी ने कहा कि बारहवा अध्याय भक्तियोग है। भक्ति की विधि एवं श्रेष्ठ भक्तों के लक्षण परमात्मा ने बताये है। चौथे श्लोक मे परमात्मा कहते है कि नौ द्वारों को बंद कर आसन प्राणायाम से योग का दुर्गम मार्ग अपने अधीन कर निराकार शून्य मे ध्यान को स्थिर करते है वही मुझे प्राप्त करते है। इस स्थिति के अलावा योगबल से सिर्फ कष्ट मिलता है।

दीदी ने स्पष्ट किया कि आत्मा का निराकार परमात्मा से योग ही सभी साधना का अंतिम लक्ष्य है। राजयोग शारीरिक क्रियाओ से अलग मनबुद्धि से परमात्मा से जुड़ने का सहज साधन है। आगे कहा कि देवी देवताओ का स्वरूप प्रतीकात्मक है। जैसे विष्णु की चार भुजा प्रवृत्ति मार्ग का प्रतीक है। गणेश के कान समर्थ बातो को सुनने, छोटी आख लक्ष्य पर स्थिर रहने, सूंड शक्ति और पेट समाने की शक्ति का प्रतीक मात्र है।

श्रेष्ठ योग की स्थिति प्राप्त करने के लिए आज परमात्मा ने भोजन की शुद्धता पर विशेष बल दिया है। परमात्मा की याद मे बनाया और परमात्मा की याद मे ग्रहण किया भोजन तन मन को शक्तिशाली बनाता है। आगे कहा कि परमात्मा ने मुस्कुराने की कला मनुष्यों को ही दी है। मुस्कुराने की आदत इस तरह डालिये कि जिन्दगी भी जाते जाते कहे आपसे मिलकर बडी खुशी हुई।