तो क्या शहडोल आरटीओ के ऊपर स्थानांतरण के नियम लागू नहीं होते हैं?

दैनिक समाज जागरण
विजय तिवारी

मध्यप्रदेश में को परिवहन आयुक्त द्वारा अनेक जिलों के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी का स्थानांतरण समय-समय पर नियम के अनुसार किया गया है। लेकिन विगत दो दशक से शहडोल में जमें आरटीओ के उपर ऐसा लगता है कि स्थानांतरण के नियम लागू ही नहीं होते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ऐसा जिले की जनता बोल रही है।

विगत कुछ वर्षों से लगातार जिले में बस हादसे हो रहे हैं जिसमें आम
जनता लगातार अपनी जॉन गंवा रही है। आरटीओ कार्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जिले में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे बसें चल रही है। जिनका रजिस्ट्रेशन 10 वर्ष से ज्यादा हो चुका है। लेकिन इसके बाद भी आरटीओ द्वारा कंडम बसों के फिटनेस जारी किये जा रहे हैं। शहडोल जिले के अंतर्गत कई बस की अगर हालत देखी जाती तो कोई भी व्यक्ति यह कह देगा कि यह बस 20 वर्ष से अधिक पुरानी है। लेकिन कंडम बसों को फिटनेस जारी जाने की भी खबर है।

ओव्हर लोड वाहनों का फैला है जॉल

अगर देखा जाये तो पूरे जिले में ओव्हर लोड वाहन काफी मात्रा में चल रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा व्यवहारिक रीवा में ओव्हर लोड वाहन चल रहे हैं। जिसके चलते लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं। जिसमें आम जनता जॉन भी गवां चुकी है। लेकिन इसके बाद भी ओव्हर लोड वाहनों को सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। लगातार पूरे जिलेभर में ओव्हर लोड वाहन फरर्राटे भर रहे हैं लेकिन आरटीओ की कार्यवाही सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहे गई है।

जनप्रतिनिधियों ने भी साधी चुप्पी

दो दशक से लगातार शहडोल के आरटीओ हैं जबकि तीन वर्षों में स्थानांतरण हो जाना चाहिए। लेकिन आरटीओ को लेकर सत्ता व विपक्ष के जनप्रतिनिधि ने भी चुप्पी साध रखी है। मिली जानकारी के अनुसार आनन-फानन में आरटीओ द्वारा कुछ बसों पर कार्यवाही की गई, यानि खानापूर्ति की जाती है। अगर आरटीओ पहले से हादसों को लेकर गंभीर होते तो शायद इतने सड़क हादसे न होते।
बिना दलालों के नहीं होता काम
शहडोल जिले में परिवहन अधिकारी कार्यालय में बिना दलालों के काम होना ही संभव नहीं है। भले ही परिवहन कार्यालय में आरटीओ विभाग के कर्मचारी हैं लेकिन यदि कोई भी उपभोक्ता या ट्रक मालिक वाहन मालिक अपने कार्य हेतु कार्यालय पहुंचता है तो सबसे पहले उसे दलालों से मुलाकात करनी पड़ती है और बिना दलाल के कोई भी कार्य नहीं हो पता है। सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अक्सर परिवहन कार्यालय से नदारत ही रहते हैं और कर्मचारी एवं दलालों द्वारा पूरा परिवहन कार्यालय को संचालित किया जाता है

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