दैनिक समाज जागरण
आशुतोष भारद्वाज
चंदौसी में आज दिन बृहस्पतिवार को भारत विकास परिषद शाखा चंदौसी के तत्वाधान विवेकानंद जी के 122 वीं पुण्यतिथि पुष्प विहार,आवास विकास निकट शिव मंदिर में मनाई गई । कार्यक्रम का शुभारंभ वंदे मातरम से हुआ, परिषद परिवार के सदस्यों ने अपने विचारों को विस्तृत रूप से रखा। अध्यक्षता कर रहे श्री अनिल शर्मा जी ने विवेकानंद जी के जीवन एवं आदर्शों पर विस्तृत प्रकाश डाला। संचालन कर रही सचिव डॉ दुर्गा टंडन ने कहा
4 जुलाई स्वामी विवेकानंद की पुण्य तिथि के रूप में मनाई जाती है।12 जनवरी सन् 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। उनके पिता विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे। नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी।
‘अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा’ यह स्वामी विवेकानंद जी का दृढ़ विश्वास था। अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। वे सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया। 4 जुलाई सन् 1902 को उन्होंने देह त्याग किया।
अपनी तेजस्वी वाणी के जरिए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद न केवल ने वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन पर बल दिया । कवि रमेश अधीर जी ने अपनी कविता के माध्यम से विवेकानंद जी के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा
” बड़ा वही इस दुनिया में जिसने आजीवन दान दिया ।
जिसने जैसा चाहा उसको वैसा ही सम्मान दिया।।”
भावना वार्ष्णेय जी ने अपने भजन के माध्यम से स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि प्रकट की। डीसी गुप्ता ने कहा भारत विकास परिषद विवेकानंद के आदर्शों पर ही चलता है। कार्यक्रम में मीडिया प्रभारी अभिषेक कुमार गुप्ता, महिला संयोजक रेखा रस्तोगी, आशा गोस्वामी, यतेंद्र गुप्ता नवीन कुमार गुप्ता , लक्ष्मीकांत सक्सेना, सोनी रस्तोगी, आदि समिति के सदस्य उपस्थित रहे।