दुनिया भर में उथल पुथल, लेकिन द शो मस्ट गो ऑन
नरविजय यादव
पहले कहा जाता था कि जिंदगी एक बार सैट हो गई तो चलती रहती है जिंदगी भर। परंतु, अब यह फॉर्मूला काम का नहीं रहा। जीवन के हर क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं तो पुरानी कहावतों और मान्यताओं की क्या बिसात? आपके पिताजी ने भले ही अपनी एचएमटी की एक ही घड़ी 40 साल तक हाथ मे पहनी हो और आज भी वो टिक टिक करके चल रही हो, लेकिन अब न ऐसी चीजें मिलती हैं और न इतनी चल पाती हैं। जिंदगी भी मानो पिज्जा बर्गर जैसी हो गई है, अभी खा लो, अभी खतम। छोटे प्रोडक्ट की क्या बात करें, महंगी कारों के मॉडल भी तेजी से बदल जाते हैं। इधर आप एक नई कार खरीद कर लाते हैं और थोड़े ही दिन बाद उसी कार का एक और मॉडल शोरूम पर आ जाता है। हां, पुराने फिल्मी गीतों का आज भी कोई तोड़ नहीं है। किसी को गाना सुनाने को बोलो तो वह आपको सत्तर, अस्सी या नब्बे के दशक वाले सदाबहार गीतों में से ही कोई एक गाना सुनाने लगता है। नए गीत न सुनने लायक हैं, न गाने लायक।
जिंदगी पटरी पर लौट ही रही थी कि चीन में बड़े पैमाने पर लॉकडाउन लगने की खबर आ गई। वहां दर्जन भर शहरों में कौमा और विराम लग चुका है। इस चक्कर में चीन की फैक्ट्रियां भी हांफने लगी हैं। चीन पर दुनिया भर में वायरस फैलाने का शक जताया जा रहा था, और आज वही देश खुद डरा बैठा है। जैसी करनी, वैसी भरनी। ऐसा ही हाल रूस का है। वहां एक लाख से ज्यादा लोग देश छोड़ चुके हैं और पड़ोसी देशों में शरण मांग रहे हैं। ये वे लोग हैं जो रूस में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी कर रहे थे। युद्ध के विरोध में अनेक अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों ने रूस में कामकाज बंद कर दिया, जिसके कारण रूस के तमाम लोग बेरोजगार हो गए। यही लोग अब रूस छोड़ने पर मजबूर हैं। हमारे देश में राजनीति की दुकानें चलाने वाले ढेर सारे लोग भी बेरोजगार हो गए हैं और बुलडोजर से अपना टीन-टप्पर बचाने में लगे हैं। गुरु, ठोंको ताली।
तीसरी लहर में प्रतिबंधों के चलते, जनवरी में कंज्यूमर गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और लाइफस्टायल उत्पादों की मांग कम रही, लेकिन फरवरी में एफएमसीजी की बिक्री मासिक आधार पर 17 प्रतिशत बढ़ गई। ऐसा डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की बिक्री अधिक होने के कारण भी हुआ। बिजोम कंपनी के अनुसार, खाद्य तेलों और पैक आटा जैसी चीजों की बिक्री जनवरी की तुलना में फरवरी में 19 प्रतिशत बढ़ गई। दूसरी तरफ, फरवरी में सालाना आधार पर कारों की बिक्री मे 7 प्रतिशत और दोपहिया वाहनों की बिक्री में 27 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई। पिछले साल फरवरी में जहां 2,81,380 कारों की बिक्री हुई थी, वहीं इस बार फरवरी में 2,62,984 कारें ही बिक पाईं। इसी तरह, दोपहिया वाहनों की बिक्री फरवरी 2021 में जहां 14,26,865 पर थी, वहीं इस साल फरवरी में इससे काफी कम यानी 10,37,994 ही वाहन बिक पाए। इसके विपरीत, एसयूवी और एमयूवी श्रेणी के वाहनों की बिक्री निरंतर बढ़ती रही है। पिछले साल फरवरी में यदि 1,14,350 यूटिलिटी वाहन बिके थे, तो इस साल फरवरी में इनकी बिक्री बढ़कर 1,20,122 पर जा पहुंची।
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नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।
टि्वटर @NarvijayYadav