वाराणसी: रामेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने में होगा शिव भक्तो को कष्ट

22 जुलाई से प्रारंभ हो रहा सावन मास

समाज जागरण रंजीत तिवारी
रामेश्वर वाराणसी
श्रावण मास में काशी के सभी शिवालयों की ही भांति श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। मगर आध्यात्मिक दृष्टि से विविध रूपों में शिव एक ही सत्ता के साथ विराजमान हैं, पर लौकिक दृष्टि से प्रत्येक शिव स्थान या शिवालय के साथ अलग -अलग परम्पराएं जुडी हैं जो लोक आस्था की प्रतीक आज भी हैं। यहां पर पापों के विनाश के लिए पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत हुई। जब भगवान श्री राम ने कुम्भोदर ऋषि से महा विद्वान् रावण के वध से प्रायश्चित उपाय पर चौरासी कोस की यात्रा करने क्षत्रिय वंश द्वारा ब्राह्मणों की मर्यादा को स्थापित रखने के आदेश पर चौरासी कोस की काशी यात्रा (जहां 56 करोड़ देवता वास करते हैं) प्रारम्भ की थी। कर्दमेश्वर, भीमचण्डी के बाद रामेश्वर में वरुणा के शांत कछार पर रात्रि भर विश्राम कर भगवान राम ने अपने हाथों एक मुठ्ठी रेत से शिव प्रतिमा की स्थापना कर तर्पण किया, जो स्थान आज पापों का नाश व मनोकामना की पूर्ति का पवित्र स्थल बन गया। यहां प्रति वर्ष हजारों हजार लोग आस्था के साथ जलाभिषेक कर पूजन -अर्चन करते हैं।बताते चले हरसोस से जंसा वाया रामेश्वर पहुंचने वाले भक्तो को काफी कष्ट का सामना करना पड़ेगा।सड़क के किनारे रात में अंधेरा,टूटे पाथवे,सड़क पर एकत्र बारिश का पानी से भक्तो को काफी दिक्कत होना तय है।मंदिर से 200 मीटर पहले बाजार में सड़क बारिश के पानी से पूरी तरह डूबी रहती है।

लक्ष्मी कांत तिवारी ने कहा वरुणा नदी में शैवाल और गंदा पानी जमा होने के कारण भक्तो को स्नान ध्यान करने में काफी दिक्कत होता हैं। सड़क के किनारे अधूरा बना नाली में बदबू दार पानी से मच्छरों का प्रकोप ज्यादा हो गया है।।
पुजारी अन्नू तिवारी ने बताया मंदिर परिसर में भक्तो के सहूलियत के पंखा, लाईट सहित अन्य व्यवस्था को समय से पूरा कर लिया जाएगा जिससे भक्तो को कोई दिक्कत नहीं होगा।बीडीओ राजेश कुमार सिंह
ने बताया 22 जुलाई से पहले टीम लगा कर सड़क के किनारे और मंदिर परिसर को साफ और सुथरा कर दिया जाएगा।