क्या जो मारे गए वे नक्सली नहीं मासूम गांववाले थे? कांकेर के एसपी ने कही चौंकाने वाली बात, खोला राज?

छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर है. यहां कांकेर जिले में हुई पुलिस-नक्सलियों की मुठभेड़ पर मारे गए लोगों के परिजनों ने सवाल उठाया है. यह मुठभेड़ कांकेर जिले के हूरतराई जंगल में 25 फरवरी को सुबह 8 बजे हुई थी. बताया गया था कि डीआरजी और बीएसएफ जवानों के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे. पुलिस के इस दावे पर परिजनों का कहना है कि वे नक्सली नहीं थे. वे तीनों जंगल मे पत्ता बांधने के लिए रस्सी लेने गए थे. तीनों ने तीन दिन में वापस आने की बात कही थी. परिजनों का कहना है कि जिन्हें नक्सली कहकर मारा गया, वे सामान्य ग्रामीण थे. तीनों ग्राम पंचायत मरदा के रहने वाले थे.

गांव के सरपंच मनोहर गावड़े ने बताया कि अभी तेंदूपत्ता का सीजन शुरू होने वाला है. इसके लिए ग्रामीण पहले से रस्सी की व्यवस्था करते हैं. इसलिए वे जंगल में जाते हैं. जिन्हें नक्सली बोल कर मार दिया गया उनके नाम रामेश्वर नेगी, सुरेश तेता और अनिल कुमार हिडको थे. इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक आईके एलेसेला का कहना है कि हमारी बात परिजनों से हुई है. हमने उन्हें समझाया है. इनके बीच मौजूद कुछ नक्सली समर्थक और असमाजिक तत्व द्वारा इसे इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं. ग्रामीणों को अगर कोई बात रखनी है तो मजिस्ट्रेट के सामने रखें. क्योंकि, हर मुठभेड़ के बाद मजिस्ट्रियल जांच होती है. मुठभेड़ के बाद गांव वाले हर बार इसी तरह के सवाल उठाते हैं.

नक्सलियों को लेकर सीएम सख्त
बता दे, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि अब माओवादियों पर हमले तेज होंगे. माओवादी खात्मे की ओर हैं. जब से प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बनी है वे बौखला गए हैं. उन्होंने कहा कि माओवादियों के खात्मे को लेकर सरकार नई रणनीति बनाएगी. दूसरी ओर, नक्सलियों ने सरकार के साथ शांति वार्ता की बात भी कही है. नक्सलियों के प्रवक्ता विकल्प ने कहा है कि शांति वार्ता के हमारी कुछ शर्ते हैं.

ये हैं नक्सलियों की शर्तें
इन शर्तों के मुताबिक, मुठभेड़ों और क्रॉस फायरिंग के नाम पर आदिवासियों की जघन्य हत्याएं बंद हों. तमाम सशस्त्र बलों को 6 माह के लिए बैरकों (थानों वे कैंपों) तक सीमित किया जाए. नए कैंप स्थापित करना बंद किया जाए और राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए. विकल्प ने कहा है कि हमारी पार्टी के साथ वार्ता के प्रति यदि सरकार ईमानदार है तो वह इन न्यूनतम बातों पर तो पहले अमल करे. फिर हम सीधी वार्ता या वर्चुअल/मोबाइल वार्ता के लिए आगे आएंगे.