पांच रेलवे कर्मचारी को लेकर 12 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है माकुम -डांगरी रेल ।
दैनिक समाज जागरण गोरखनाथ गुप्ता।
जहां वर्तमान केन्द्रीय सरकार विकास का आईना दिखाकर रेलवे विभाग कई स्टेशन को मॉडल और अत्याधुनिक के साथ इस बार के बजट में नये वंदे भारत और नमो भारत देने की घोषणा की है। किंतु ऐतिहासिक डिब्रू- सदिया रेल मार्ग आज भी अपनी अस्मत बनाने की जद्दोजहद से जूझ रहा है। विडंबना यह है कि डिब्रू- सदिया रेल मार्ग के माकुम डांगरी रेल पथ के जर्जर हो चुके छह रेलवे स्टेशन रेलवे विभाग की उदासीनता के कारण अपनी पहचान खोकर हाल्ट में तथा स्टेशन पेशाब घर शौचालय,पागलों का बसेरा में परिवर्तित हो चुका है।
तुर्रा यह है कि रेलवे विभाग द्वारा चलाई जा रही माकुम – डांगरी रेल मार्ग पर चल रही इकलौती ट्रेन में यात्री के नाम पर सिर्फ पांच रेलवे कर्मचारी ही सदा आना जाना कर रहा है । जिसमें दो चालक के साथ दो गार्ड रेल मार्ग में मानव रहित गेट खोलने और बन्द करने का काम करता है और एक सिग्नल गार्ड रहता है । अथार्त जब ट्रेन मानव रहित गेट के समीप आता है तो रेल ड्राइवर गेट से पहले ट्रेन को रोक देता है और गार्ड उतरकर रेल गेट बन्द करता है । उसके बाद ट्रेन मानव रहित गेट से आगे बढ़ाकर रोकी जाती है और ट्रेन के पीछे डब्बे में बैठा गार्ड गेट खोलकर पुनः ट्रेन में चढ़ता है । यह क्रम एक बार नहीं होता बल्कि माकुम से लेकर डांगरी तक कम से कम 27 बार होता है क्योंकि माकुम से लेकर डांगरी तक 27 मानव रहित रेलवे फाटक है । इस तरह ट्रेन के चलने पर 32 किलोमीटर के दुरी को तय करने में ढाई घंटा लगता है । उल्लेखनीय है कि माकुम – डांगरी शाखा रेल के अंतर्गत माकुम, बरहापजान , हांहचरा , दुमदुमा , रूपाई , तालाप और डांगरी स्टेशन है जिसका मर्यादा घटाकर रेलवे विभाग की उदासीनता के कारण स्टेशन से हटाकर हाल्ट में परिवर्तित कर दिया गया है।इस अंचल के लोगों ने रेलवे विभाग से कई बार आग्रह किया है की ट्रेन का संप्रसारण तिनसुकिया, डिब्रूगढ़ तक की जाय ताकि यात्रियों को कम खर्च में जल्द व्यापार क्षेत्र तिनसुकिया डिब्रूगढ़ तक जाने में सहूलियत मिल सके । तिनसुकिया समंडल के सामंडलिक अधिकारियों ने एक यात्री वाही रेलगाड़ी रविवार को छोड़कर सप्ताह में छः दिन 32 किलोमीटर दुरी की माकुम – डांगरी ब्रॉडगेज शाखा में चलाने की व्यवस्था की । माकुम से लेकर डांगरी तक रेलवे लाइन के किनारे किनारे 37 न राष्ट्रीय राजमार्ग है । गाड़ी में जाने पर इसमें सिर्फ 40 मिनट लगता है किन्तु वहीं ट्रेन में ढाई घंटा लगता है। इस शाखा में असम में सन् 1885 में प्रतिष्ठा हुई प्रथम डिब्रुगढ़ – सदिया रेल पथ का एक अंश है । आश्चर्यजनक यह है कि 12 घंटे प्रति किलोमीटर की रफ्तार से सुबह और रात को यात्री विहीन इस ट्रेन यात्रियों के मुफीद और सुविधा अनुरूप न होने पर भी चल रही है। जानकारी के अनुसार सुबह 5.30 बजे डांगरी से आरम्भ होती है और 2.30 घंटे में 32 किलोमीटर दूर माकुम जंक्शन सुबह 8 पहुंचती है । संध्या 7.30 बजे माकुम जंक्शन से चलकर रात्रि 10 बजे डांगरी पहुंचती है । डांगरी स्टेशन में सुविधा और सुरक्षा एवं कारणों से ट्रेन को वहां से माकुम जंक्शन रात्रि 12.30 बजे पहुंचती है । रात्रि पुनः 2.30 माकुम से डांगरी के लिए ट्रेन जाती है और सुबह 5 बजे पहुंचती है। जनता का प्रश्न है माकुम -डांगरी शाखा में रेल विभाग का वाणिज्य शुन्य क्यों ? इस मार्ग पर रेल सेवा
का विस्तार और लंबी दूरी की ट्रेन सेवा प्रदान कर इस अंचल के विकास में रेलवे अहम भूमिका निभा सकती है। किंतु रेलवे विभाग द्वारा उदासीनता से इस अंचल के लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है।
माकुम डांगरी के अंतिम छोर पर स्थित डांगरी अंचल ग्रामीण क्षेत्र है किन्तु वहां से 7 किलोमीटर दूर व्यवसायिक केंद्र स्थल धौला बाजार ( सैखोवाघाट) है । ऐसी स्थिति में सैखोवाघाट तक विभिन्न संगठन एवं प्रबुद्ध लोगों द्वारा विस्तार करने की मांग उठाए जाने के बावजूद फिलहाल यह मामला ठंडे बस्ते में रखा हुआ है।
