आजादी के 75 साल बाद भी नही बना महुलबोना शीला नदी घाट में पुल !

बरसात के दिन आफत बनती है शीला नदी !



दैनिक समाज जागरण संवाददाता विपुल गोस्वामी


एक तरफ जहां देश आजादी के 75वी वर्ष में अमृत महोत्सव मना रहा है वही दूसरी तरफ झारखंड के यह गांव अपने मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहा है। बरसात के दिनों में आफत बनने वाली शीला नदी पर पुल नही बनने से आज भी ये गांव देश के मुख्य धारा से कटा हुआ है। विकास के नाम पर वोट मांगने वाली सरकार न जाने क्यों आंखो पर काला चश्मा लगाए बैठा है। वो समाज सेवी भी न जाने कहां चले जाते है जो लोगो के हर दुख और सुख में साथ निभाने का दम भरते है।

फतेहपुर प्रखण्ड के जामजोड़ी पंचायत के ही महुलबोना गांव के लोग जूझ रहे है परेशानी । गर्मी के दिनों में राहत भरी सांस लेते हैं। जैसे कि नाला मोहना बांक आदि छोटा बाजार मे अपने दवाई आदि के साथ जरूरतो की सामग्री पूरा करने में दिक्कत नहीं होती है।ठीक बरसात की मौसम दस्तक देते ही परिस्थिति बिपरीत हो जाताहै। किसी प्रकार स्वास्थ्य संबंधी बीमारी या अपने जीवनचर्या के लिए सामग्री को लाना मुस्किल भरी आलम बन जाता है, शीला नदी पार करके जाना ।स्थानीय लोगों की माने तो आजादी का जश्न मना लिया आजादी का स्वाद चख लिया बिहार राज्य से अलग हुए झारखंड प्रदेश, कुंडहित प्रखंड से अलग होकर फतेहपुर प्रखंड बना । फिर भी शीला नदी में पुल नहीं बना। क्या स्थिति में जी रहे हैं यहां के लोग। आवाज उठाएं तो उठाएं कहां। जो इनका सुनने वाला हो ,बरसात के दिनों में अगर गर्भवती महिला को अगर किसी प्रकार डॉक्टर के सानिध्य में जाना हो ,तो बड़ी आफत सी हो जाती है ।नदी पार करना टेढ़ी खीर हो जाता है ।जिससे लोग काफी मायूस रहते हैं। यह बताते चलें कि यहां के लोगों ने कहा सीपीआई को कई दशक देखा भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नाला विधानसभा में सिर्फ एक बार ही परचम लहराए थे। उसके बाद नाला विधानसभा के बागडोर झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाथ में गया ।झारखंड मुक्ति मोर्चा कई बार जीते मगर यहां के जनताओ के दुःख दर्द को नहीं देखने के वजह से शीला नदी में पुल नहीं बना ।स्थानीय मुखिया ने भी इस पर पहल नहीं किया। जिस वजह से उक्त ग्राम के ग्रामीणों को भारी मशक्कत करते हुए अपनी जरूरत के सामान के साथ स्कूली बच्चे बच्चियों को पठन-पाठन कराने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ।आखिर शीला नदी में कब बनेगा पुल, कब मिलेगी परेशानियों से आजादी। कौन करेंगे ऐसे मुसीबतों का बेड़ा पार यही प्रश्न स्थानीय लोगों के दिमाग में बार-बार घूमते रहता है। स्थानीय लोग नाम नहीं छपवाने के उद्देश्य से बताया की कोई नेता ,कोई जनप्रतिनिधि करीब आये ,पहल करे। साथ ही प्रशासन को इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए आम जनता के समस्या का निदान करने की अपील की है।