बाबा वैद्यनाथ का दूसरा रूप हैं बाबा शुंभेश्वर नाथ।

सतयुग काल से बरसा रहे हैं भक्तों पर अपनी कृपा*

दिवाकर पाठक,संवाददाता दैनिक समाज जागरण
झारखंड की उपराजधानी दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के धौनी गांव में सूबे का बहुचर्चित मंदिर बाबा शुंभेश्वर नाथ स्थित हैं। बताया जाता है की सतयुग काल में शुंभ और निशुंभ दानवों ने मिलकर बाबा शुभेश्वर नाथ की स्थापना करी थी। इसलिए यहां का शिवलिंग आपको दो भागों में दृष्टिगोचर होगा। बाबा नगरी की भांति यहां भी दोनों मंदिर(शिव-पार्वती) आपस में जुड़े हैं। पास में ही शिवगंग है,जहां भक्त डुबकी लगाकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं। यहां भी भक्त अपनी कामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूर्ण करते हैं। यहां भी भक्तों की काफी बयार बहती है। यहां की परिसर की सुंदरता का क्या कहना। चारो ओर वनों से आच्छादित होने के कारण यह काफी मनमोहक है। लंबे लंबे तार और खजूर के पेड़ यहां की वादियों में चार चांद लगा देते हैं। जिसकी नयनाभिराम राशि देखते ही बनती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं की बाबा का बुलावा और ये वादियां भक्तों को अपनी ओर खींच लाते हैं। यहां की आबो हवा की सुगंध स्वयं में अनूठा है,जो मन को आनंद रस में सराबोर कर देता है। यहां की भाषा और खान पान मिथिला से मिलता जुलता है। यहां के लोग चूड़ा दही खाना ज्यादा पसंद करते हैं। यहां के दही का स्वाद तो बिल्कुल विशुद्ध है,जो अपनी प्रसिद्धि की मिसाल गढ़ता है। कहा जाता है की बाबा का बुलावा जब आता है तो भक्त स्वयं खींचे चले आते हैं। और इसी प्रमाण का साक्षी बनने के लिए आज बाबा ने हमें भी बुला लिया। साथ में मुझसे अटूट स्नेह रखने वाले आदरणीय चतरा जिले के हंटरगंज डिग्री कॉलेज के प्राचार्य (मेरे मामा जी) सुधांशु मिश्र जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। हम दोनों ने साथ मिलकर बाबा का जलाभिषेक किया। इस प्रकार मन मस्त गगन में उड़ाने भरने लगा और बाबा की असीम कृपा प्राप्त हुई। इस प्रकार कह सकते हैं की धौनी की धुन में बसे हैं बाबा, जहां अनवरत कृपा बरसती रहती है। ऐसे यह गांव शुंभेश्वर नगर के नाम से भी जाना जाता है।