राज्यपाल से मुलाकात कर
सौंपा मांग पत्र
पटना ।
बिहार विधान परिषद के सदस्य और याचिका समिति के अध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार सिंह तथा शून्यकाल समिति के अध्यक्ष विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र अर्लेकर से मुलाकात कर अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि सहायक प्राध्यापकों के सेवाशर्तों में सुधार के लिए एक पत्र सौंपा।
पत्र में डॉ. संजीव कुमार सिंह और संजय कुमार सिंह ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि प्राध्यापकों को स्थायी प्राध्यापकों के समान ही अहर्ता और पात्रता के आधार पर नियुक्ति देने की बात की। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि विश्वविद्यालय चयन समिति द्वारा राज्य सरकार की आरक्षण नियमावली के तहत स्वीकृत पदों के अनुरूप इन प्राध्यापकों को नियुक्त किया जाए। इसके अलावा, अतिथि प्राध्यापकों के मानदेय को स्थायी प्राध्यापकों के बराबर और सम्मानजनक स्तर पर लाने का अनुरोध किया गया।
अतिथि प्राध्यापकों के लिए सेवानिवृत्ति, आयुसीमा में बदलाव की मांग
पत्र में एक और महत्वपूर्ण मांग की गई है, जिसमें राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा स्थायी शिक्षकों के समान तय की जाए। इससे इन शिक्षकों को समान अवसर मिल सकेगा और वे भी अपने सेवाकाल को अधिक प्रभावी रूप से पूरा कर सकेंगे।
शिक्षक प्रतिनिधियों ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया था कई बार
यह मुद्दा बिहार विधान परिषद में पहले भी शिक्षक प्रतिनिधियों द्वारा उठाया गया है, और अब विधान परिषद सदस्य डॉ. संजीव कुमार सिंह और संजय कुमार सिंह द्वारा इसे एक बार फिर राज्यपाल के समक्ष रखा गया है। यह कदम बिहार के उच्च शिक्षा क्षेत्र में अतिथि प्राध्यापकों के अधिकारों की रक्षा और उनके कार्य जीवन को सम्मानजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
शिक्षकों और संघ द्वारा सकारात्मक प्रतिक्रिया
बिहार राज्य विश्वविद्यालय अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ के प्रांतीय संयोजक और बीएनएमयू मधेपुरा अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. सतीश कुमार दास ने इस प्रयास को सराहा। उन्होंने कहा, “विधान परिषद सदस्य डॉ. संजीव कुमार सिंह और संजय कुमार सिंह द्वारा अतिथि प्राध्यापकों के स्थायीकरण और उनके मानदेय में सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जो हमारे लिए एक बड़ी राहत है।”
उन्होंने संघ के अन्य पदाधिकारियों और सभी अतिथि प्राध्यापकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस अभियान में समर्थन दिया। महासचिव डॉ. दीपक कुमार, वरीय उपाध्यक्ष डॉ. सिकंदर कुमार, उपाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार झा, कोषाध्यक्ष डॉ. रविशंकर कुमार, प्रवक्ता डॉ. संतोष कुमार, डॉ. प्रशांत कुमार मनोज, डॉ. रूद्र किंकर वर्मा सहित सभी अन्य सदस्यों ने इस पहल को अत्यंत सकारात्मक कदम बताया।
संवेदनशील मुद्दे पर सार्थक प्रयासों की उम्मीद
इस प्रयास से यह उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार राज्य में अतिथि सहायक प्राध्यापकों की स्थिति में सुधार होगा और उन्हें स्थायी शिक्षक के समान अधिकार मिलेंगे। इस कदम से राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त असमानताओं को समाप्त किया जा सकेगा और शिक्षक वर्ग को उनका उचित सम्मान मिलेगा। यह न केवल उच्च शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि छात्रों के लिए भी एक बेहतर और समर्पित शिक्षण वातावरण का निर्माण करेगा।