अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों को जूते की नोक पर रखना चाहती है भाजपा-राजीव रंजन

दैनिक समाज जागरण मुन्ना पासवान ब्यूरो चीफ नालंदा बिहार शरीफ
बिहारशरीफ:भाजपा को अतिपिछड़ा विरोधी पार्टी बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने अतिपिछड़ा समाज का विरोध भाजपा नेताओं की अंतरात्मा में भरा हुआ है.उन्हें इस समाज का वोट तो चाहिए लेकिन उन्हें सम्मान देना इन्हें पसंद नहीं है.सामंतवादी विचारधारा से घिरे भाजपा के नेता आज भी अतिपिछड़ा समाज के नेताओं को गुलामों की तरह देखते हैं और जूते की नोक पर रखना चाहते हैं.हालात ऐसे हैं कि अतिपिछड़े समाज से आने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं यहां अपने समाज की भलाई के लिए काम करने की आजादी नहीं दी जाती.इसके अलावा अतिपिछड़ा होने के कारण उन्हें हर बात पर अपमानित किया जाता है.अतिपिछड़ा समाज से भाजपा की घृणा का उदहारण देते हुए उन्होंने कहा कि याद करें तो कर्पूरी फ़ॉर्मूला के आधार पर ओबीसी वर्गीकरण के लिए रोहिणी आयोग का गठन किया गया था.लेकिन मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में इसके किये प्रावधानों के बारे में अनुशंसा होने के बावजूद इसके आधार पर इस समाज का वर्गीकरण नहीं किया जा रहा.उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हैं कि भाजपा में अतिपिछड़े नेताओं की की निरंतर उपेक्षा की जा रही है.इस समाज से आने वाले इनके नेता खुद बताते हैं कि पार्टी के कुछ बड़े नेता अतिपिछड़ा समाज के नेताओं को कर्पूरी ठाकुर जैसे अतिपिछड़ा समाज के महापुरुषों की जयंती मनाने से रोकते हैं और उनकी जगह दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर समारोह मनाने का दबाव डालते हैं. भाजपा को अतिपिछड़ा समाज पर दबाव बनाने वाले इन नेताओं पर भी लगाम लगाना चाहिए.उन्हें समझना चाहिए अपने महापुरुषों से अतिपिछड़े समाज की भावनाएं जुडी हुई हैं. उनका अपमान किसी भी सूरत में अतिपिछड़ा समाज बर्दाश्त नहीं करने वाला.उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ों से होने वाले दुर्व्यवहार को लेकर ही इनके अतिपिछड़ा मोर्चे के अध्यक्ष ने इस्तीफ़ा तक दे दिया.उसके बाद से आज तक इनकी पार्टी का कोई अतिपिछड़ा नेता इस पद को स्वीकार करने के लिए तैयार तक नहीं हुआ. अभी भी यह पद खाली है.इनके नेता ने खुद स्वीकार किया है कि न तो उन्हें अपने मन से काम करने दिया जाता था और न ही उन्हें कोई फैसला लेने की छूट थी।