आवेदन प्रक्रिया के अंतिम दिन हुआ बीपीएससी का सर्वर डाउन

समाज जागरण पटना जिला संवाददाता:- वेद प्रकाश

पटना/ बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया का आखिरी दिन होने के कारण अभ्यर्थी बड़ी संख्या में आवेदन करने की कोशिश करते रहे। लेकिन आयोग की वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के चलते सर्वर डाउन हो गया है। जिससे उम्मीदवारों को फॉर्म भरने में भारी परेशानी हुई है। पेमेंट गेटवे भी काम नहीं किया जिसकी वजह से कई उम्मीदवार अपने आवेदन को फाइनल नहीं कर पाये। इससे परीक्षा में शामिल होने की योजना बना रहे अभ्यर्थियों को मुश्किलें झेलनी पड़ी। पिछले 24 घंटों में वेबसाइट पर भारी संख्या में आवेदकों के लॉगिन करने से सर्वर पर अत्यधिक लोड पड़ गया है। तकनीकी समस्याओं के कारण कई आवेदक फॉर्म भरने के आखिरी क्षणों में फंस गए हैं और पेमेंट प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसके बावजूद, आयोग की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इससे अभ्यर्थियों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि अंतिम समय में कोई विकल्प न होने के कारण उनकी तैयारी पर असर पड़ने की संभावना है। आयोग की तकनीकी टीम ने इस स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि बीपीएससी द्वारा इस वैकेंसी के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 15 दिनों से अधिक समय के लिए विस्तारित की गई थी। इस अवधि के दौरान आयोग ने अभ्यर्थियों से अंतिम तारीख का इंतजार न करने का आग्रह किया था ताकि वे अपनी आवेदन प्रक्रिया समय रहते पूरी कर सकें। हालांकि, उम्मीदवारों के अंतिम दिन फॉर्म भरने की प्रवृत्ति के कारण सर्वर पर अचानक भारी दबाव आ गया है। पिछले 24 घंटों में आयोग ने एक लाख से अधिक आवेदन प्राप्त किए जो सर्वर पर अतिरिक्त भार डाल रहे हैं। इसके अलावा इस वैकेंसी की संख्या भी बढ़ाई गई थी। शुरू में इस भर्ती में कुल 1929 पद थे, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 2031 पद कर दिया गया। इस परीक्षा के माध्यम से बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। ग्रुप ए के अंतर्गत अनुमंडल पदाधिकारी और वरीय उप समाहर्ता जैसे उच्च पदों के लिए 200 सीटें हैं। जबकि ग्रुप बी में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) के पद के लिए 393 सीटें हैं। यह बीपीएससी द्वारा आयोजित की गई सिविल सर्विसेज परीक्षाओं में सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया मानी जा रही है। इस वैकेंसी के लिए आवेदन प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं ने अभ्यर्थियों की तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। आयोग को इस तरह की तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए भविष्य में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और वैकल्पिक उपायों को अपनाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी परिस्थिति दोबारा उतपन्न न हो।

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