समाज जागरण सवादाता दीपक कुमार प्रखंड छत्तरपुर
*बाहरी नेताओं के लिए छतरपुर विधानसभा सिर्फ चारागाह – पंचम कुमार*
छतरपुर : छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्षों से जनहित की योजनाओं और विकास कार्यों की अनदेखी की जा रही है। देश में आजादी के अमृत महोत्सव के बावजूद क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। पिछले कुछ वर्षों में अरबों रुपये खर्च होने के बावजूद छतरपुर में विकास का नामोनिशान नहीं है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अब तक क्षेत्र में निबंधन कार्यालय नहीं खोला गया, जबकि यह एक अत्यावश्यक सुविधा है। बस स्टैंड और बाजार का निर्माण नहीं हो पाया है, जिससे स्थानीय लोगों को यात्रा और व्यापार में कठिनाई होती है। बिजली व्यवस्था में सुधार की कोई दिशा नहीं दिख रही, और छतरपुर आज भी रेल मार्ग से नहीं जुड़ा है।
करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद हरिजन-आदिवासी छात्रावास भी वर्षों से बंद पड़ा है, जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण के कारण मिडिल स्कूल अभी भी अछूता है, और हाई स्कूल के खेल मैदान का निर्माण आधा-अधूरा पड़ा है, जो छात्रों के लिए खेल और अन्य गतिविधियों के विकास में बाधा बना हुआ है।
अनुमंडलीय अस्पताल को रेफरल अस्पताल बनाकर छोड़ दिया गया है, जहां मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। सिचाई की योजनाएं भी विफल रही हैं, जिससे किसानों की खेत बंजर भूमि में तब्दील हो रहा है और सुखनदिया डैम को चारागाह में तब्दील कर दिया गया है। जो जनप्रतिनिधि आते हैं सिर्फ मरम्मत के नाम लाखो रुपये की उगाही करते हैं। बावजूद सुखनदिया डैम से किसी को कोई लाभ नहीं मिला। छतरपुर नगर पंचायत में करोड़ों रुपये खर्च कर तीन सुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया लेकिन पदाधिकारियों के उदासीन रवैया अपनाने के कारण अब तक संचालन नहीं हो पाया, 6 लाख प्रति मूल्य के 9 हाई मास्ट लाइट लगाया गया लेकिन घटिया किस्म होने के कारण सिर्फ टिमटिमाते नजर आता है। वहीं नगर के कुछ गलियों में स्ट्रीट लाइटें भी घटिया गुणवत्ता की लगाई गई हैं जिसमें सैकड़ों बन्द पड़ा हुआ है जिससे रात में दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है। इसके अलावा, विभिन्न चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए, जिससे सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
साफ-सफाई की दृष्टि से भी छतरपुर पिछड़ा हुआ है और पीने के पानी की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है जिसके कारण गर्मियों के दिन में लोग पानी के लिए व्याकुल होकर रह जाते हैं। वहीं सोन नदी से पानी लाने का सपना भी सपना बनकर रह गया। कुल मिलाकर, छतरपुर का विकास पूरी तरह से ठप हो चुका है और आम जनता अब सवाल उठा रही है कि आखिर जनप्रतिनिधियों और कुछ दलालों की जेबें कैसे भर गईं, जबकि जनता की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।
छतरपुर की इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार लोगों से जवाबदेही की मांग बढ़ रही है, और जनता अब वास्तविक विकास की आस लगाए हुए है।
अब 2024 के विधानसभा चुनाव में युवा वर्ग एक नए बदलाव की ओर देख रहा है, जिसमें छतरपुर में जनहित से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों। युवा चाहते हैं कि उनके क्षेत्र में स्थानीय जनप्रतिनिधि बने जो उनकी समस्याओं को समझें और उनका समाधान करें।
युवा वर्ग चाहता है कि छतरपुर में विकास हो, रोजगार के अवसर बढ़ें, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं बेहतर हों, और स्थानीय लोगों को उनके अधिकार मिलें। वे चाहते हैं कि उनके नेता उनकी बात सुनें और उनके लिए काम करें।
इस चुनाव में, युवा वर्ग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि वे नई सोच और नई ऊर्जा के साथ आगे आ रहे हैं। उन्हें अपने मत का सही उपयोग करना चाहिए और ऐसे नेताओं को चुनना चाहिए जो वास्तव में उनके हितों की रक्षा करेंगे।