रणविजय,दैनिक समाज जागरण संवाददाता (पौआखाली/किशनगंज)
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होने वाले सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा शुक्रवार से नहाय खाय के साथ आरंभ हो चुका है। आज खरना पूजा है। व्रती आज खरना प्रसाद बनाने की तैयारियों में जुटी हैं। जिसके बाद 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखकर एवम कड़े नियमों का पालन करते हुए षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य तथा अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रती छठ पूजा के व्रत का पारण कर विधिवत रूप से समापन करेंगे। उधर छठ पूजा को लेकर किशनगंज जिले के पौआखाली नगर पंचायत सहित पूरे ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र के श्रद्धालुओं में काफी उत्साह और उमंग का माहौल छाया है। प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा और बॉलीवुड की सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल के गाए लोकगीतों की मधुर आवाज हर एक श्रद्धालुओं के मन को मुग्ध कर रहा है। छठ पूजा को यूं हीं महापर्व का दर्जा प्राप्त नहीं है, छठ पूजा को प्रकृति से प्रेम आस्था, पर्यावरण संरक्षण के अलावे जीवन में अनुशासन बनाए रखने में सहायक सिद्ध माना जाता है। चूंकि पवित्रता और कड़े नियमों के पालन के लिहाज से यह महापर्व सबसे उच्चतम स्तर का धार्मिक पर्व माना गया है इसलिए इस महापर्व का शुभारंभ दीपावली के दूसरे दिन से ही हमलोग अपने घर आंगन, नदी, तालाब, पोखर, सरोवर इत्यादि की अच्छी तरह से साफ सफाई कर किया करते हैं। नदी, तालाब और जल की साफ सफाई कर हमलोग पर्यावरण संरक्षण को महत्व देते हैं। सनातन संस्कृति में सूर्य, जल, पृथ्वी, अग्नि और वायु भगवान के रूप में स्थापित है जिसकी हम किसी न किसी रूप में आस्था भक्ति, कड़े नियम निष्ठा के साथ पूजा आराधना करते हैं। ये सभी जीवन के कारक हैं और प्रकृति भी। यह हमारे लिए ईश्वरीय वरदान है। इन सभी चीजों के प्रति आस्था श्रद्धा, प्रेम और विश्वास तथा इसकी पूजा पद्धति इसके संरक्षण के लिए हमें जीवन में प्रेरित करता है। कड़े नियम निष्ठा का अनुपालन हमारे जीवन को अनुशासित करता है। वहीं स्वच्छ जल में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना हमारे शारीरिक मानसिक ऊर्जा को बलवती तो प्रदान करता ही है, साथ ही सुख समृद्धि भी प्रदान करता है। प्रातः काल के उषा किरण की छटा हमारे शरीर पर पड़ते ही रोगों का नाश होता है, कुष्ठ आदि जैसी बीमारियों से हमें मुक्ति मिलती है। यही नहीं, छठ पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के तौर पे गन्ना जिसपर पशु पक्षियों का वास नही होता है जिस कारण ही गन्ना को काफी पवित्र मानते हुए इस पर्व में इसकी सबसे अधिक महत्ता रहती है के अलावे सेब, सिंघाड़ा, नींबू, नारियल ठेकुआ सहित अदरक और कच्चे हल्दी का पौधा जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सहित एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कि आयुर्वेदिक गुणकारी चीजें हैं जो सर्दियों में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर हमें ऊर्जा प्रदान करती है। यही कारण है कि छठ महापर्व को जीवन पद्धति का अहम हिस्सा माना गया है जिस वजह हर वर्ग के श्रद्धालुओं में इस महापर्व के प्रति असीम आस्था भक्ति और समर्पण लगातार बढ़ रही है। बिहार यूपी झारखंड ही नही बल्कि देशभर में कई राज्यों के अलावे सात समंदर पार मलेशिया अमेरिका सिंगापुर सहित विश्वभर में प्रवासी भारतीय वहां भी छठ महापर्व की संस्कृति की महक फैलाकर सनातन संस्कृति की महत्ता और विशेषता से भलीभांति परिचित करवा रहे हैं।
