भाजपा की लगातार हार पर सामने आई संगठन और विधायक की नाकामी
विधायक के प्रेस कॉन्फ्रेंस से कार्यकर्ताओं के मन में उठ रहे कई सवाल
दैनिक समाज जागरण
पेण्ड्रा गौरेला। नवगठित जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव समीरा पैकरा एवं उपाध्यक्ष का चुनाव राजा उपेंद्र बहादुर सिंह ने जीत लिया है। दोनों जीतने वाले प्रत्याशी भाजपा पार्टी से ताल्लुक रखते हैं और दोनों ने ही भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों को चुनाव हराकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर कब्जा किया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा की गुटबाजी देखने को मिली जब भाजपा संगठन के एक धड़े ने प्रदेश नेतृत्व को गलत जानकारी भेजकर जिला पंचायत सदस्यों के अधिक संख्या बल वाले जिला पंचायत सदस्य को अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का प्रत्याशी न बनाकर कम संख्या बल वाले जिला पंचायत सदस्य को अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का प्रत्याशी घोषित करवा दिया। जिसके बाद चुनाव स्थल बनाए गए एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय पेण्ड्रारोड में भाजपा संगठन के नेता दो धड़ों में बंट गए और दूसरे धड़े ने भी अध्यक्ष पद के लिए समीरा पैकरा और उपाध्यक्ष पद के लिए राजा उपेंद्र बहादुर सिंह को नामांकन भरवा दिया।
सबसे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हुआ जिसमें समीरा पैकरा ने भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी राजेश नंदिनी सिंह अर्मो को 6 वोटों के मुकाबले 4 वोटों के अंतर से हरा दिया। राजेश नंदिनी सिंह अर्मो रिश्ते में मरवाही विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक प्रणव कुमार मरपच्ची की करीबी रिश्तेदार है। विधायक प्रणव मरपच्ची की जिद के कारण ही भाजपा ने राजेश नंदिनी सिंह अर्मो को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया था।इसके बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ, जिसमें राजा उपेन्द्र बहादुर सिंह ने भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी श्याममणि बृजलाल राठौर 6 वोटों के मुकाबले 4 वोटों के अंतर से हरा दिया।उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद पर जीतने और हारने वाले भाजपा के ही हैं। जीपीएम जिले में भाजपा से अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा में चूक हुई है। जबकि पहले से ही स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि भाजपा नेता समीरा पैकरा और राजा उपेंद्र बहादुर सिंह ने कांग्रेस के दो और दो निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में मिला लिया था, जिससे इनकी संख्याबल 6 सदस्यों की हो गई थी। यदि भाजपा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का प्रत्याशी समीरा पैकरा और राजा उपेंद्र बहादुर सिंह को घोषित करती तो बहुत बड़ी संभावना थी कि अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्विरोध निर्वाचन सम्पन्न हो सकता था। क्योंकि जीपीएम जिले में कांग्रेस से कोई भी इस पद के दावेदारी के लिए सामने नहीं आए थे।
जीत के बाद लगे मोदी-साय के जिंदाबाद के नारे
दोनों की जीत के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी करते हुए नरेंद्र मोदी जिंदाबाद, विष्णुदेव साय जिंदाबाद, भाजपा जिंदाबाद का नारा लगाया।
जीत के बाद भाजपा कार्यालय पहुंचे नव निर्वाचित अध्यक्ष उपाध्यक्ष
जीत के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष समीरा पैकरा और उपाध्यक्ष राजा उपेंद्र बहादुर सिंह बीजेपी के जिला कार्यालय गौरेला पहुंचे। वहां उपस्थित भाजपा कार्यकर्ताओं ने दोनों का आतिशी स्वागत किया।
भाजपा विधायक प्रणव मरपच्ची ने कांग्रेस की जीत बताया जबकि भाजपा महामंत्री ने जीतने वालों को बताया भाजपाई
चुनाव परिणाम आने के बाद मरवाही के भाजपा विधायक प्रणव मरपच्ची ने जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव जीतने वाले समीरा पैकरा और राजा उपेंद्र बहादुर सिंह को कांग्रेस की जीत बताया है। जबकि भाजपा जिला महामंत्री राकेश चतुर्वेदी ने दोनों जीतने वालों को भाजपाई बताया है।
अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर भाजपा अधिकृत प्रत्याशियों की हार पर विधायक मरवाही ने कहा कि यह जीत कांग्रेस की जीत है और मैं उन्हें इसके लिए बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि समीर पर कांग्रेस के समर्थन से अध्यक्ष बनी है इसलिए कांग्रेस की जीत ही मानी जाएगी जबकि उपाध्यक्ष के नाम पर उन्होंने चुप्पी साध ली। ज्ञात हो कि समीरा पैकरा भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश मंत्री, वर्तमान में महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष एवं भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश कार्य समिति सदस्य रही है एवं उपेंद्र बहादुर सिंह भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष हैं। अब महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी पिछले नगरी निकाय के चुनाव में चुनाव में सिर्फ गौरेला नगरी एवं जनपद जीती। इस हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के समक्ष यह प्रश्न उठता है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव इस क्षेत्र में क्यों हार रही है लोगों का कहना यह है कि विधायक एवं जिला संगठन के मनमानी के कारण टिकट चयन में लगातार चूक हो रही है इसके कारण भाजपा को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है और विधायक द्वारा पत्रकारों के समक्ष जो बात रखी गई उससे यह निश्चित होता है कि कहीं ना कहीं इन हारों के पीछे विधायक एवं जिला संगठन की नाकामी सामने आ रही है।