किसान भाई धान की फसल में लगने वाले कीट रोग के बचाव हेतु उनका प्रबन्धन/उपचार करें

समाज जागरण दैनिक
विश्व नाथ त्रिपाठी

प्रतापगढ़। जिला कृषि रक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने बताया है कि जनपद में धान की रोपाई का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, किसान धान की फसल में लगने वाले कीट रोग के बचाव हेतु उनका प्रबन्धन/उपचार अवश्यक करें। उन्होने बताया है कि खैरा रोग के सम्बन्ध में बताया है कि यह जिंक की कमी से होने वाला रोग है जिसमें पत्तियां कत्थई रंग की हो जाती है जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रूक जाती है इस रोग के उपचार हेतु प्रति हेक्टेयर 25 किग्रा0 जिंक सल्फेट 2.5 किग्रा0 बुझा चुना के साथ मिलाकर 800 लीटर पानी में घोल बनाकर फलैट नोजल से छिड़काव करना चाहिये। दीमक रोग के सम्बन्ध में बताया है कि दीमक के श्रमिक कीट हानिकारक होते है ये जड़ एवं तने को खाकर सुखा देते है। प्रकोपित सूखे पौधों को आसानी से उखाड़ा जा सकता है एवं उखाड़ने पर गंदले सफेद पंखहीन दीमक दिखाई पड़ते है, इसके उपचार हेतु सिंचाई के पानी के साथ क्लोरोपाइरीफास 20 प्रति0 ई0सी0 3-4 ली0 प्रति0 हेक्टे0 की दर से प्रयोग करना चाहिये। पत्ती लपेटक कीट के सम्बन्ध में बताया है कि कीट की सूड़ियां पत्तियों के दोनो किनारों को जोड़कर नालीनुमा रचना बनाती है तथा उसी के अन्दर रहकर हरे पदार्थ को खुरच कर खाती है जिससे पत्तियों पर सफेद पारदर्शक धारिया बन जाती है, इसके उपचार हेतु संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये तथा खेत में उपस्थित मकड़ियों को संरक्षित रखना चाहिये। दो ताजी पत्ती प्रति हिल नालीनुमा संरचना दिखाई देने पर क्यूनालफास 25 प्रति0 ई0सी0 को 1.25 ली0 प्रति हेक्टे0 की दर से छिड़काव करें। तना बेधक रोग के सम्बन्ध में बताया गया है कि इस कीट की सूड़ियां तने में छेदकर तने के मध्य में पोषक तत्वों को चूसती है जिससे पौधों की वानस्पतिक अवस्था में मृत गोभ बनता है, इसके प्रबन्धन/उपचार हेतु इस कीट के अण्डे के झुण्ड या सूड़ी दिखाई पड़ने पर डायमेथोएट 30 प्रति0 ई0सी0 1 ली0 प्रति हेक्टे0 या 1.5 ली0 नीम आयल प्रति हेक्टे0 की दर से 800 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करना चाहिये।