संवाददाता आनन्द कुमार।
दैनिक समाज जागरण
दुद्धी/ सोनभद्र। शादी का वायदा कर, शारीरिक संबंध बनाने दबाव बनाने पर, जबरिया दुष्कर्म करते हुए मारपीट करने के आरोप में जिला कारागार में बंद अपना दल एस के पूर्व विधायक दुद्धी हरिराम चेरो के पुत्र की जमानत हाई कोर्ट ने मंजूर कर ली है. मामला दुद्धी कोतवाली में दर्ज दुष्कर्म और मारपीट के केस से जुड़ा हुआ है. न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की बेंच ने संबंधित न्यायालय में आरोपी को एक व्यक्तिगत बांड और सम्मन राशि के दो जमानतदार प्रस्तुत करने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. रिहाई आदेश जारी करने से पहले जमानत दारों के सत्यापन के लिए कहा गया है. हाई कोर्ट की बेंच के सामने बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा और अभियोजन पक्ष की तरफ से राज्य विधि अधिकारी राजेंद्र प्रसाद सिंह ने दलिलें पेश की. बेंच ने पाया की धारा 115(2) 352, 351(3), 64(2) (एम) बीएनएस के तहत दर्ज के स और मामले के विचारण रहने के दौरान आरोपी की तरफ से जमानत मांगी गई है. अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी ने पीड़िता से शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध स्थापित किया और बाद में वादा पूरा करने से इनकार कर दिया. वहीं जमानत याचिका बाकी करने वाले आरोपी के अधिवक्ता एके मिश्रा का कहना था कि आरोपी पूरी तरह निर्दोष है. उसे फसाया गया है. ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे पता चले कि आवेदक ने शुरू से ही पीड़िता को गुमराह किया. सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को अपराधिक मामले में बदल दिया गया है. पीड़िता के बयान के अनुसार वह 20 वर्ष की वयस्क है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वर्ष 2022 में पारित निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया कि शादी का झूठा वादा करके किसी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं कहा जा सकता. हाई कोर्ट की बेंच ने इस मसले पर अपनी राय जाहिर करने से परहेज करते हुए कहा कि मामला इस बात पर टिका है कि आवेदक का शादी का वादा सच्चा था या झूठा और शारीरिक संबंध सहमति से बने थे या नहीं. निष्कर्ष निकालना ट्रायल कोर्ट का काम है जो उसके सामने पेश किए गए सबूतों और कानून के अनुसार उसकी व्याख्या पर निर्भर करेगा. मामले के तथ्यों, परिस्थितियों, पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा दिए गए तर्कों, सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से स्थापित किए गए विधि के अनुसार हाई कोर्ट की बेंच ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश देने के साथ ही जमानत की कई शर्तें भी तय की. मामले की कार्रवाई शुरू करने, आरोप तय करने,धारा 313 सीआरपीसी / 351 बीएनएस के तहत बयान दर्ज करने के लिए निर्धारित तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेगा।