अधिकारियों की मिली भगत से कोर्ट से एक पक्षीय आदेश के जरिए स्वास्थ्य विभाग में नौकरी को लेकर चर्चा में सक्रिय गिरोह

मिली भगत के चलते ही भर्तियों में रोक के बाद भी पहले संविदा आउट सोरसिंग पर भर्ती फिर कोर्ट से सीधे स्थायी नियुक्ति के एक पक्षीय आदेश के जरिए घर बैठे बेतन के रूप में लाखों रुपए के बंदर वाट में भी गिरोह के जरिए भारी लाभ उठा रहे कई अधिकारी

सुनील बाजपेई
कानपुर। उत्तर प्रदेश में कुछ अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत वाला एक ऐसा भी शातिर दिमाग गिरोह सक्रिय है ,जो मुंह मांगी कीमत लेकर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी लगवाने को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। विभागीय सूत्रों द्वारा किए गए दावे पर यकीन करें तो इस गिरोह की वजह से ही स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी आय से अधिक लाखों करोड़ों की नामी बेनामी चल अचल संपत्ति के मालिक भी बनने में सफल हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग में इस जबर्दस्त आर्थिक भ्रष्टाचार की इस वास्तविक वजह का मुख्य संबंध मुंह मांगी कीमत लेकर नियुक्तियां के खेल से बताया गया है। मामले में योगी सरकार से जांच कर प्रभावी कार्रवाई किए जाने की मांग भी की गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीधी भर्तियों में रोक के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व बिचौलियों तथा शासन तंत्र में बैठे कुछ लोग स्थायी नियुक्ति कराने के लिए पहले संविदा और आउट सोरसिंग पर भर्ती कराने के साथ साथ गैर नियुक्ति अधिकारी को प्रतिवादी बनाते हुए उनके खिलाफ श्रम न्यायालयों में वाद प्रस्तुत कर देते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इसके बाद अधिकारियों की मिली भगत से उदासीनता दिखाते हुए एक पक्षीय आदेश करा लिया जाता है और फिर इसी को आधार बनाकर कर्मचारियों को सीधे नियुक्ति किए जाने का आदेश हो जाता है ,जिसका परिणाम यह होता है कि संबंधित व्यक्ति अपनी पूरी बैठकी के वेतन के साथ अधिनियमों का धता बताते हुए न केवल नियुक्ति पा जाता है बल्कि सालों घर बैठे रहने के बावजूद भी लाखों रुपए बेतन के रूप में भी पा जाता है।
सूत्रों ने यह भी दावा किया कि स्वास्थ्य विभाग में अनुचित तरीके से नियुक्तियों के इस खेल में बिचौलियों की अच्छी खासी भूमिका होती है। बताया कि इस तरह के विवादों में अधिकारियों द्वारा एक रैकेट के माध्यम से श्रम न्यायालय, उच्च न्यायालय, व उच्चतम न्यायालय में मन माने ढंग से उदासीनता दिखाते हुए एक पक्षीय आदेश को पुर्नास्थापित किया जाता रहता है। जिसके पीछे की मुख्य मंशा संबंधित को मिलने लाभ के बंदरबाट भारी आर्थिक फायदा उठाना भी बताई जाती है
भरोसेमंद सूत्रों ने भी दावा किया कि इस संदर्भ में लाभप्राप्त व्यक्ति द्वारा स्वास्थ्य भवन के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री को भी गुमराह कर आदेश प्राप्त किये जाते हैं। इस रैकेट में अपने आपको काली का भक्त कहने वाला एक बाहरी व्यक्ति भी सम्मिलित है। स्वास्थ्य भवन और श्रम विभाग के अधिकारी इसी की साजिश युक्त योजना के मुताबिक करोड़ों रूपये की चपत स्वास्थ्य विभाग को लगाने में लगातार सफल हो रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों की मिली भगत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय अधिकारियों द्वारा सरकार को आर्थिक क्षति पहुँचाने वाले ऐसे विवादों पर ध्यान ही नहीं दिया जाता है।
विभागीय सूत्र इस गंभीर मामले में भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय, महानगर लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का भी उदाहरण देते हैं ,जिसके मुताबिक पूर्ववर्ती 2013 से 2018 के मध्य नियुक्त किये गये मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा फर्जी व बिना अधिकार क्षेत्र के लाभ पहुंचाने की दृष्टि से एक महिला की कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर नियुक्त दर्शा दिया गया। जबकि अनुचित तरीके से नियम विरुद्ध की गई यह नियुक्ति और इसी क्रम में उसे नियमित करने का विषय भी उनके अधिकारक्षेत्र में था ही नहीं। मतलब ना तो उनके पास नियुक्ति का अधिकार क्षेत्र था और न ही नियमित करने का कोई आधार।
स्वास्थ्य भवन मुख्यालय से जुड़े सूत्रों ने यह भी दावा किया कि भ्रष्टाचार के इस प्रकरण में शासनादेशों के विपरीत सेवा समाप्ति के पश्चात लचीला रूख अपनाते हुए उसे श्रम विभाग में नियमितीकरण के आदेश भी कराये गये और फिर उसी आदेश को मा० उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय में भी बिना समुचित सुनवाई के यथावत रखा गया। मतलब इस प्रकार सीधी भर्ती का रास्ता जबरन खोलकर उसके भुगतान का भी रास्ता खोल दिया गया।
खास बात यह भी कि इस सम्बन्ध में विभाग के अधिकारियों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा भी घोर लापरवाही बरती गयी, जिसके फल स्वरुप ही इसी तरह के तमाम वाद स्वास्थ विभाग में संविदा आधारित कर्मचारियों द्वारा उठाये जा रहे हैं।
स्वास्थ भवन में हो रही चर्चाओं के आधार पर भरोसे मंद द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री भी बिना स्थितियों को समुचित संज्ञान में लिये ना जाने कितने प्रार्थना पत्रों पर अग्रेतर कार्यवाही का आदेश जारी कर चुके बताए जाते हैं। साथ भी स्वास्थ्य सचिव व स्वास्थ्य निदेशक का मौन भी चर्चा में बताया जाता है।
फिलहाल हिन्द मजदूर किसान पंचायत के राष्ट्रीय सचिव व प्रदेश महामंत्री और पाण्डेय एसोसिएट के कार्यकर्ता वरिष्ठ श्रमिक नेता राकेश मणि पाण्डेय ने मामले में घोर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से शासन के दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए इस प्रकार की नियुक्तियों में सहायक स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और उनके संरक्षण में संचालत शातिर रैकेट के भी खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कर प्रभावी कार्यवाही किए जाने की जोरदार मांग भी की है। क्या वास्तव में ऐसा हो पाएगा या फिर यह शातिर दिमाग गिरोह अपने संरक्षण दाता अधिकारियों की मिली भगत से अपने को साफ बचा ले जाएगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।