जमियत उलेमा हिंद के वफादार सिपाही थे मरहूम हाफिज शहाबुद्दीन साहब
भरगामा/डा. रूद्र किंकर वर्मा।
प्रखर समाजसेवी और वीरनगर-बिषहरिया के मायानाज शख्सियत, हाफिज शहाबुद्दीन साहब का सोमवार को सुबह 10 बजे इंतकाल हो गया। उनकी उम्र लगभग 65 वर्ष थी। उनके निधन की खबर सुनकर पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई और लोग गमगीन हो गए।
हाफिज शहाबुद्दीन साहब गरीब और नि:सहाय बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का कार्य करते थे। उन्होंने आवाम से भिक्षाटन करके गरीब बच्चों के लिए शिक्षा देने का कार्य अपने जीवनभर किया। वे मकतब और मदरसा चलाकर अनाथ बच्चों को शिक्षा प्रदान करते रहे।
समुदाय के नेताओं की श्रद्धांजलि
जमात ए उलेमा हिंद के जिला अध्यक्ष मुफ्ती नशीमीद्दीन साहब और जिला सचिव हाजी रईस उद्दीन साहब ने उन्हें नेक दिल इंसान बताया और कहा कि वे जमियत उलेमा हिंद के वफादार सिपाही थे। सरपंच नजाम उद्दीन साहब, सरपंच आजम साहब, शमसुल हक, अंजार आलम, जशीम प्रोफेसर, युवा नेता सुनील पासवान आदि ने भी उनके कार्यों की सराहना की।
हाफिज शहाबुद्दीन साहब मदरसा दारूल कुरान वीरनगर और मदरसा जमालिया हिफजुर कुरान खलिलाबाद के हेड मुदर्रिश रह चुके थे। वर्तमान में वे अपने दरवाजे पर एक मकतब चला रहे थे, जहां उन्होंने हमेशा गरीब बच्चों की शिक्षा के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे।
अंतिम विदाई
उनका जनाजा बिषहरिया हाट पर अदा किया गया, जहां हज़रत मौलाना बलाल अहमद काशमी ने जनाजे की नमाज़ पढ़ाई। इस मौके पर हाजी मौलाना अबुल रहमान साहब, जुबेर आलम, फैयाज मुखिया, शोएब आलम सहित हजारों लोगों ने जनाजे में शामिल होकर नमाज़ अदा की।
हाफिज शहाबुद्दीन साहब का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा, और उनकी सेवाएं समुदाय में एक मिसाल बनी रहेंगी।