सोनवर्षा खड़बड़ा घाट, सेंहुड़ा, डेहुली में हो रहा अवैध उत्खनन
सोन घडियाल अभ्यारण के अधिकारियों का खुला संरक्षण
दैनिक समाज जागरण
उमेश सिंह
सीधी। जिले में रेत माफिया बेखौफ होकर प्रतिबंधित सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन करते हैं। जिले के अमिलिया थाना क्षेत्र अंतर्गत सोन नदी के प्रतिबंधित अभ्यारण्य क्षेत्र खड़बड़ा घाट, सेंहुड़ा, डिहुली, सोनवर्षा से अवैध रेत का उत्खनन माफिया लगातार कर रहे हैं। माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि दिन दहाड़े रेत का उत्खनन करने में जुटे हुए हैं। जिनको पुलिस प्रशासन का भी खौफ नहीं है। बताते चलें कि सोन घडियाल अभ्यारण्य क्षेत्र में अमिलिया थाना अंतर्गत सोनवर्षा, खड़बड़ा घाट, सेंंहुड़ा, डिहुली में रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन बेरोक-टोक चल रहा है। क्षेत्रीय ग्रामीणों की माने तो शाम ढलते ही सोन नदी के सोनवर्षा खड़बड़ा घाट, सेंहुडा, डिहुली तट पर क्षेत्रीय रेत माफियाओं के ट्रैक्टर एवं मिनी ट्रक पहुंचने लगते हैं। इसके बाद सोन नदी तट से रेत का अवैध उत्खनन श्रमिकों के माध्यम से शुरू हो जाता है और छोटे वाहनों से रेत निकालकर सुरक्षित ठिकानों में डम्प करने का खेल शुरू होता है। सुबह तक रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन धड़ल्ले के साथ किया जाता है। ग्रामीणों के अनुसार सुरक्षित स्थानों में जो रेत माफिया द्वारा डम्प कराया जाता है, वहां तक रीवा एवं उत्तरप्रदेश की ओर से आने वाले बड़े मालवाहकों में रात में ही लोडिंग का काम होता है। बड़े वाहनों के पास पहले से ही दूसरे खदानों की रेत टीपी मौजूद होती है उसी के सहारे सोन नदी के रेत का परिवहन होता है। यह अवश्य है कि रेत के परिवहन में लगे बड़े वाहनों द्वारा बीच में संबंधित थानों की पुलिस को निश्चित सुविधा शुल्क दिया जाता है जिसके चलते उनकी कोई जांच-पड़ताल नहीं होती। सोन घडियाल अभ्यारण्य क्षेत्र के उक्त घाटों से निकाले जाने वाले रेता बड़े वाहनों में लोड होने के बाद इसका परिवहन पहाड़ के नीचे के रास्तों से किया जाता है। यह वाहन सुरक्षित रूप से मऊगंज एवं हनुमना की ओर निकल जाते हैं। रेत का अवैध परिवहन कराने में रेत माफिया का बड़ा रैकेट सक्रिय है, जिसके द्वारा रात में भी अलग-अलग मार्गों में अपने आदमियों को तैनात किया जाता है। जिससे उनको पुलिस एवं अन्य अधिकारियों की भनक लगती रहती है। इसमें पुलिस थानों के कुछ कर्मियों की भी सांठगांठ रहती है।
रात में औचक निरीक्षण में नहीं निकलते अधिकारी
सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य सीधी क्षेत्र से रात में ही रेत का अवैध कारोबार माफिया द्वारा सुनियोजित तरीके से संचालित किया जाता है। रेत माफिया के नेटवर्क इतने मजबूत हैं कि उनके पास अधिकारियों के आने एवं किसी तरह के निरीक्षण की खबर पूर्व में ही मिल जाती है। खबर को पहुंचाने वाले और कोई नहीं हैं बल्कि जिनको वह सुविधा शुल्क देते हैं वही विभागीय अमला खबरों को जल्द से जल्द पहुंचाकर अपनी वफादारी का परिचय देते हैं। तत्संबंध में जानकारों का कहना है कि प्रतिबंधित सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य क्षेत्र से रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन पूरी तरह से प्रतिबंधित होने के बावजूद यह कुछ क्षेत्रों में लगातार चल रहा है। इसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी बाखूबी है। फिर भी बड़े अधिकारी रेत के अवैध कारोबार का निरीक्षण करने के लिए बिना पूर्व सूचना के सीधे सोन नदी के चर्चित तटीय क्षेत्रों का औचक निरीक्षण करने की जरूरत नहीं समझते। निरीक्षण के नाम पर भी महज खानापूर्ति एवं औपचारिकताएं की जाती हैं। जिससे यह आभाष हो कि बड़े अधिकारी रेत के अवैध कारोबार पर पूरी तरह से जागरुक हैं।
मैदानी अमले आला अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
पुलिस एवं सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के मैदानी अमले की सांठ-गांठ एवं संरक्षण के बल-बूते ही रेत का पूरा अवैध कारोबार सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य क्षेत्र के विभिन्न घाटों से चल रहा है। इसमें हनुमानगढ़ हरिजन बस्ती, खड़बड़ा, सोनवर्षा, डेहुली, सेंहुडा आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा पुलिस चौकी सिहावल क्षेत्र के विभिन्न घाटों से भी रेत का अवैध उत्खनन शाम ढ़लने के बाद से ही पूरी रात बेखौफ होकर माफिया द्वारा कराया जा रहा है। इस मामले में सीधी जिले में कभी भी गंभीरता के साथ सार्थक कार्यवाही का अभियान नहीं चलाया गया। इसी तरह सोन घडियाल अभ्यारण्य क्षेत्र का स्थानीय अमला भी रेत माफियाओं को सूचना देता रहता है। जिससे रेत माफिया प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ही रेत अवैध उत्खनन एवं परिवहन कराते हैं। रेत के अवैध कारोबार में सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के स्थानीय अमले का पूरा संरक्षण बना रहता है। इसी वजह से वह गस्त में भी संबंधित घाटों में जाने से दूरियां बनाए रहते हैं। उनका जब जाना होता है तो पूर्व से ही सूचना पहुंचा दी जाती है।