भारत का विज्ञान पहले से ही समृद्ध है

समाज जागरण
विश्वनाथ त्रिपाठी
प्रतापगढ़

भारत का विज्ञान कितना उन्नत था इसका पता हमें तब लगता है जब इस पवित्र देव भूमि पर कुछ चित्र प्राप्त होते हैं वे चाहे राम के पास का पुष्पक विमान धन हो जो विना किसी ईंधन के चलता था और हमेशा एक सीट खाली रहा करती थी , अग्निवाण रहा हो या फिर रावण दल का नाग फांस |

फिर भी न तो भारत के लोग इसबात को मानने के लिए तैयार हैं कि भारतीय सभ्यता एक उन्नत सभ्यता थी और न ही यह स्वीकार करना चाहते हैं कि यहां का विज्ञान सर्व श्रेष्ठ था | हमारे यहां तो धनुर्विद्या इतनी कुशल थी कि  अयोध्या नरेश दशरथ व पृथ्वीराज चौहान जैसे लोग शब्दों को सुनकर सटीक निशाना लगा दिया करते थे |

सोशल मीडिया पर एक मंदिर पर चित्र वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि आज से १४०० वर्ष पूर्व पल्लवराज धंस के राजा ने लालगिरि। मंदिर बनवाया था जिसमें लगे पत्थरों। कृपया एक चित्र कम्प्युटर नुमा दिख रहा है ,उसका की बोर्ड भी है और सामने बैठा एक आदमी काम भी कर रहा है और उसमें एक टेबिल भी दिख रही है जो बिजली लाइन के संयोजन हेतु है |
यह चित्र मन में एक जिज्ञासा अवश्य उत्पन्न करता है कि क्या भारत १४०० वर्ष पहले इतना उन्नत था या फिर ये एक फेंक चित्र है लेकिन हर भारतवासी के लिए इसकी सत्यता जानने की अवश्य होगी कि इसमें सत्यता कितनी है | अगर यह चित्र किसी मंदिर का वास्तविक चित्र है तो हम सब गौरवान्वित होंगे |