मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से की न्याय की अपील, कहा- “शिक्षकों को घर के पास कार्य का अवसर मिले”
पटना ।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य श्री इन्तेखाब आलम ने अररिया जिले के नियोजित सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों की बढ़ती परेशानियों को लेकर बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि अररिया जिले में सिर्फ दो अनुमंडल (अररिया और फारबिसगंज) होने के कारण शिक्षकों को सही ढंग से समायोजित करना मुश्किल हो रहा है, जिससे उन्हें कामकाजी परिस्थितियों में भारी कठिनाइयाँ आ रही हैं।
अररिया जिले का भौगोलिक असंतुलन
अररिया जिले में दो अनुमंडल होने के बावजूद, अररिया अनुमंडल में छह प्रखंड (अररिया, जोकीहाट, कुर्साकांटा, रानीगंज, सिकटी और पलासी) हैं, जबकि फारबिसगंज अनुमंडल में केवल तीन प्रखंड (फारबिसगंज, नरपतगंज और भरगामा) आते हैं। इस भौगोलिक असंतुलन के कारण अररिया अनुमंडल के शिक्षक फारबिसगंज अनुमंडल में समायोजित नहीं हो पा रहे हैं, जो उनके लिए मानसिक तनाव और असुविधा का कारण बन रहा है।
शिक्षकों का जीवन मुश्किल में
श्री आलम ने यह भी कहा कि अररिया अनुमंडल के शिक्षक अगर फारबिसगंज अनुमंडल में समायोजित हो जाते हैं तो वे अपने घर से दूर रहने को मजबूर होंगे, जिससे उनका पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होगा। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने छात्रों को बेहतर शिक्षा देने में सक्षम नहीं होंगे, क्योंकि शिक्षक अपने घर और परिवार से दूर रहकर काम नहीं कर सकते हैं। इससे न सिर्फ उनके व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ेगा, बल्कि छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।
तीन शैक्षिक अनुमंडल बनाने की मांग
इन समस्याओं के समाधान के लिए श्री आलम ने बिहार सरकार से अररिया जिले को तीन शैक्षिक अनुमंडल में विभाजित करने की मांग की है, जैसे कि किशनगंज जिले में किया गया है। अगर अररिया जिले को तीन शैक्षिक अनुमंडल में बांट दिया जाता है, तो शिक्षकों को अपने घर के पास ही काम करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे बेहतर तरीके से शिक्षा कार्य में अपनी भूमिका निभा सकेंगे और उनके परिवार का जीवन भी सुगम होगा।
प्रखंड विकल्प का प्रस्ताव
इसके अतिरिक्त, श्री आलम ने यह भी मांग की है कि नियोजित सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों को प्रखंड का विकल्प देने का प्रावधान बनाया जाए, ताकि शिक्षक अपनी पसंद के प्रखंड में कार्य कर सकें और उन्हें शैक्षिक कार्य में अधिक सहयोग मिल सके। इससे शिक्षक अपनी कार्य क्षमता को बेहतर ढंग से उपयोग कर पाएंगे और छात्र-छात्राओं को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सकेगी।
शिक्षकों का भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता
श्री आलम ने कहा कि यदि अररिया जिले में शैक्षिक अनुमंडल की पुनर्गठन की मांग पूरी होती है, तो इससे न केवल शिक्षकों के जीवन में सुधार होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इस कदम से शिक्षक तनावमुक्त होकर अपने कार्य में ध्यान केंद्रित कर सकेंगे, और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सक्षम होंगे।
श्री आलम की यह मांग अररिया जिले के शिक्षकों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अगर बिहार सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देती है, तो न केवल शिक्षक वर्ग को राहत मिलेगी, बल्कि इससे शिक्षा के स्तर में भी सुधार होगा।