जलते सिर्फ विपक्षी हीं नहीं विदेशी भी”

*बैठकी*

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नित्य की तरह हम सभी बैठक खाने में और जम गई– *बैठकी*
ए सरजी! मैं बहुत दिनों से एक बात नोट करता आ रहा हूँ जो ये दर्शाता है कि अटलजी जब विपक्ष में थे और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री हुआ करतीं थीं तब के विपक्ष की भूमिका और आज के विपक्षियों की भूमिका में आकाश पताल का अंतर हो गया है! उस समय इंदिरा गांधी अर्थात कांग्रेस के अच्छे कामों में विपक्ष सहयोगात्मक रुख अपनाने के साथ साथ प्रसंशा भी करता था लेकिन आज वो परम्परा हीं खत्म हो गई! मोदी सरकार के अच्छे कामों की भी आलोचना करना विपक्ष की नियत बन चुकी है! —- कुंवरजी बैठते हीं शुरू हो गये!

बिलकुल खांटी बोलले हैं कुंवरजी! उ सर्जिकल स्ट्राईक रहे भा कोरोना वैक्सीन, धारा 370 रहे भा राफेल, चाहे चीनी सैनिकन के पिटाई के ममलवा रहे भा गरीब सबर्णन के आरक्षण , चाहे अर्थव्यवस्था के बात होखे भा भारत विरोधी आतंकवदियन के– हर बात प विरोध, निमन बात नहीं नु है! — मुखियाजी समीक्षा की मुद्रा में!

ये विरोधी पार्टियां, जनता को बेवकूफ समझतीं हैं! समझतीं हैं कि मोदी का हर बात में विरोध करने से उसका टीआरपी बढ़ जायेगा! बड़ा अजीब तब लगता है जब टीवी या मिडिया में कोई विपक्षी नेता जिसका जनाधार भाजपा के आगे नगण्य है, मोदी का विरोध करते हुए कहता है–“ये मैं नहीं, देश की 140 करोड़ जनता पुछती है!!! उस चुतिये को इतना भी समझ नहीं है कि जनता समझ रही है कि तुम उसका नाम लेकर अपनी बेरोजगारी का भड़ांस निकाल रहे हो!– कहकर सुरेन्द्र भाई ठठाकर हंस पड़े!

छोड़िये, देखते नहीं हैं! मोदीजी का विरोध करते, करते ये, देश का भी विरोध करने लगते हैं! सीएए और एनआरसी के सवाल पर दुनिया देखी नहीं थी!!! — मास्टर साहब ने हाथ चमकाया!

तभी भतीजा- धीरज, जो पक्का भाजपाई है और बक्सर जिला आईटी सेल का अधिकारी भी है, चाय की ट्रे टेबल पर रखकर, बगल में खाली कुर्सी पर बैठ गया और बोला–” मोदीजी से सिर्फ विपक्षी पार्टियां हीं नहीं खार खाये बैठीं हैं बल्कि विदेशी मिडिया भी कम नहीं है!”

बिलकुल सही बात है! आजकल विभिन्न चैनलों पर बीबीसी द्वारा प्रचारित डोक्युमेंटरी– *इंडिया द मोदी क्वेश्चन* की आलोचना सुनी जा रही है! —पारस नेता ने हामी भरी!

इ का है सरजी!! हम तो सुनें हैं कि हमारे देश के वामपंथी आ विपक्षी बुद्धिजीवी सब मिलके विदेशी मिडिया में, मोदी आउर भारत विरोधी एजेण्डा चलवाते हैं बाकी इ नाया क्या होखल है!!! — मुखियाजी मेरी ओर देखकर!

मुखियाजी, असल में अगले साल लोकसभा का चुनाव है तो मोदी विरोध का एजेंडा चलना लाजमी है! इसी क्रम में गुजरात दंगे पर बीबीसी ने डोक्यूमेंट्री बनाई है–“द इंडिया मोदी क्वेश्चन ” जिसका प्रथम एपिसोड 17 जनवरी को सोसलमिडिया में, जैसे- यूट्यूब, ट्विटर आदि पर प्रसारित किया गया और जिसका दुसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित होगा! इस प्रोपेगेंडा में गुजरात दंगे के लिए मोदीजी को उत्तरदायी सिद्ध करने की चेष्टा की गई है! लेकिन भारत सरकार ने यूट्यूब और ट्विटर के उस एकाउंट को ब्लॉक करवा दिया है! — मैं चुप हुआ!

लिजिये! बहुत से पश्चिमी देश, भारत के मोदी पेटर्न को पसंद नहीं करते! देखा नहीं आपलोगों ने, ये साले पश्चिमी देश वाले, खुद रुस से पेट्रोल, डीजल खरीदते हैं लेकिन भारत पर दबाव बना रहे थे कि भारत रुस से न खरीदे! लेकिन ये तो मोदी है! मोदीजी ने भारत की ताकत विश्व को दिखा दिया कि हम तुम्हारे गुलाम नहीं जो तु जो कहोगे वही हम करेंगे!– कुंवरजी के स्वर में गर्व झलका!

अजी मोदी जीउवा, का यूक्रेन का राष्ट्रपति- बोलोडिमिर जेलेंस्की ह!!!जो नाटो देशवन के पीठ ठोकला से अपन देशवे बर्बाद करवा दिया ! इहे आज देश में कांग्रेसियन के राज रहता तो देखते ! भारतो का हाल श्रीलंका आ पाकिस्तान जइसा हुआ रहता! इ विपक्षिया सब महंगाई का हाल्ला करता है! कोरोना के बाद आ यूक्रेन- रुस युद्ध से विश्व का, चाहे बगल के पड़ोसी देशवन के का हाल है!!काहे नहीं झांकता है!!— मुखियाजी ने मार्के की बात कही!

बात विदेशी मिडिया की हो रही थी तो जब सुप्रीम कोर्ट मोदीजी और अमित शाह को क्लीन चिट दे दी है तब ये बीबीसी या अमेरिका का न्यूयॉर्क टाइम्स का मोदी विरोध का एजेंडा चलाना हम भारतीयों का अपमान हीं तो है!! — सुरेन्द्र भाई चाय का खाली कप टेबल पर रखते हुए!

असल में कोरोना पर भारत के सफल अभियान और हाल में गुजरात में भाजपा की शानदार जीत से ये लोग बौखला गये हैं! बीबीसी के इस डोक्यूमेंट्री पर ब्रिटिश संसद में पाकिस्तानी मूल के सासंद- इमरान हुसैन ने जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री श्रृषि सुनक से जबाब मांगा तो श्रृषि सुनक ने बीबीसी द्वारा प्रचारित डोक्यूमेंट्री का विरोध करते हुए भारत के सवा सौ करोड़ से भी अधिक भारतियों का अपमान बताया और बीबीसी के साथ साथ पाकिस्तान को भी खरी- खोटी सुनाई! ये वास्तविकता है कि भाजपा के शासन काल में भारत में हो रहे विकास से यहाँ विपक्षी तो जल हीं रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि मोदीजी की सफलता उनके राह में पहाड़ साबित हो रहा है जबकि भारत के विरुद्ध विदेश से एजेंडा चलाने वाले भी जल भून रहे हैं! अभी बीबीसी अपना डोक्यूमेंट्री रिलीज हीं की थी कि देश के 13 रिटायर्ड जज, 133 ब्यूरोक्रेट्स और 156 पूर्व सेना अधिकारियों ने इसके विरुद्ध हस्ताक्षरित आवेदन दे दिये!– धीरज से भी रहा नहीं गया!
ए सरजी, इ आपका भतिजवा,अभी बितभर का है का जाने दूधो का दांत टुटल है कि नहीं लेकिन जहर का पुड़िये है!—कहकर मुखियाजी मुस्कुराये!

अरे मुखियाजी, आखिर ये भतीजा किसका है!! ऐसे हीं भाजपा का जिला आईटी अध्यक्ष नहीं न है! भाजपा कार्यकर्ताओं को चुन लेती है लेकिन सभी मोदी, योगी नहीं हैं! ये भी सत्य है!इसमें भी स्वार्थी लोगों की भरमार है! —मास्टर साहब भतीजा को देख कर!
ठीक है! थोड़ी देर के लिए आपकी बात मान लिया लेकिन जो पदों पर होंगे उन सभी को अनुशरण तो अपने अटलजी, अडवानीजी, मोदीजी,योगीजी, गडकरीजी और शाहजी का हीं तो करना है!! नहीं तो हमारे दल में जगह हीं नहीं रहेगी! — धीरज , शांत स्वर में!

वाह! क्या वाॅकपटुता है! — कहकर कुंवरजी उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी…..!!!
प्रोफेसर राजेन्द्र पाठक ( समाजशास्त्री)