मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थक नवविवाहिता केर पारंपरिक पाबैन मधुश्रावणीक समापन 7अगस्त कै

टेमी रस्म अदायगीक बाद ओहि दिन अहिबाती महिलाक होयत भोज, गर्भवती नवविवाहिता कै नै दागल जायत घुटना: कविता मिश्रा

अररिया/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

सावन महीने के कृष्ण पक्ष पंचमी से आरंभ एवं शुक्ल पक्ष तृतीया को संपन्न होने वाली मैथिल ब्राह्मण एवम कर्ण कायस्थ परिवार के नवविवाहिता का पारंपरिक,मिथिला संस्कृति व भक्ति का पर्व मधुश्रावणी पूजा
का समापन 7अगस्त को है।
पूजन कर रही नवविवाहिताओं के घर उल्लास का माहौल है। ससुराल पक्ष से अहिबाती महिलाओं के भोज के लिए पूजन गृह सामग्री भेजी जा चुकी है।

समापन के दिन नवविवाहिता को देनी पड़ती है अग्नि परीक्षा

मधुश्रावणी के व्रत के साथ अग्निपरीक्षा भी देनी होती है।समाजसेविका कविता मिश्रा कहती हैं कि इस पर्व में मिथिला की नई दुल्हनों को अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा अर्चना की जाती है। इस अनुष्ठानइसके साथ ही इस पर्व की अनोखी परंपरा भी मिथिला में देखने को मिलती है।
अग्निपरीक्षा में दुल्हन का जलाया जाता है घुटना
बिहार के मिथिलांचल में प्यार का पता लगाने के लिए एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है जिसमें महिला को अग्निपरीक्षा देनी होती हैं। जिसमे महिला का घुटना जलाया जाता है। पति अपनी पत्नी के घुटने पर पूजा घर में रखे गए दीपक की बाती से प्यार के साथ उसका घुटना जलाता है। इससे दोनों का करुण सार देखने को मिलता है।जब महिला को जलाया जात है। वह उफ्फ तक नहीं करती। ऐसा माना जाता है कि इस परीक्षा में विवाहिता के घुटने में जितना बड़ा फफोला पड़ता है। पति-पत्नी का प्यार उतना ही गहरा होता है। लेकिन गर्भवती नवविवाहिता को घुटना दागा नहीं जायेगा बल्कि वहां चंदन का लेप लगाया जाएगा
कथा कहने वाली कथकहिनी पंडिताइन समेत नव विवाहिता घर की महिलाओ एवम बच्चियों को उपहार में ससुराल पक्ष से कपड़े भी दिया जाता है।