आपरेशन ईगल: नशे के खिलाफ पंजाब पुलिस का एक और जंग।

समाज जागरण डेस्क

पंजाब पुलिस ने युवाओं को नशे से दूर रखने और नशीली दवाओं की बिक्री के खिलाफ एक नया जंग शुरु किया है जिसका नाम है आपरेशन ईगल। इस आपरेशन के तहत पंजाब पुलिस ने तीन रणनीति बनाई है।

1) सख्त प्रवर्तन – नशीली दवाओं की बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, 2) लोगों को शिक्षित करना – लोगों को नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना और उन्हें नशीली दवाओं के तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में पंजाब पुलिस की मदद करने के लिए प्रेरित करना, 3) यदि युवा पहले से ही नशे के चंगुल में फंसे हैं तो उन्हें इससे बाहर निकालना…”

यह तो वही बात हुई ना …..” “सबै सहायक सबल के, कोउ न निबल सहाय।
पवन जलावत आग को, दीपहिं देत बुझाय।।”

यानि की सरकार स्वयं ही नशा बेचती है और सरकार स्वयं ही लोगों को नशा दूर रहने के लिए नशा मुक्ति अभियान भी चलाती है। पंजाब मे चल रहे सरकारी या गैर सरकारी ठेके को कौन चला रहा है। किसी भी राज्य के लिए 10% से ज्यादा के रेवेन्यू नशे के कारोबार से प्राप्त होते है। सरकार के द्वारा एवं सरकारी एजेंसी के द्वारा यह भी कहा जाता है कि नकली या गैर-आर्थोराइज्ड दुकानों से प्रतिष्ठानों से शराब खरीदकर न पीए। तो क्या यह मान लेना ठीक नही होगा कि शराब नशा मुक्ति अभियान नही बल्कि नशा युक्ति अभियान चलाकर लोगों को जागरुक करती है कि नशा जरुर करें लेकिन सरकारी दुकानों से खरीदकर। या फिर सरकार के द्वारा प्रमाणित दुकानों से खरीदकर। अन्यथा स्वयं नशा बेचना और युवाओं को नशे के बारे मे बताना कि नशा नही करना चाहिए. इसके बावजूद हर साल नशेरियों के संख्या मे बढ़ोतरी होना और 38% के हिसाब से हर साल शराब के कारोबार मे बढ़ोतरी होने की खबर सरकार को नही है।

सरकार की दोहरी नीति बिल्कुल वैसे ही है जैसे की गली नुक्कड़ मे बीड़ी सिगरेट के दुकान खोल देना और बोर्ड लगा देना कि 18 साल के कम उम्र के लोगों को बीड़ी सिगरेट बेचना मना है। जब पीने वाला नही मान रहा है, बेचने वाला नही मान रहा है। फार्मेल्टी के लिए सरकार ने बीच मे तख्ती टंगवा दिया है।

अगर सरकार बाकई मे युवाओं को नशा मुक्त रखना चाहती है तो सबसे पहले अपने सरकारी और गैर सरकारी ठेके को बंद कर देना चाहिए। लेकिन यह संभव नही है क्योंकि यह ठेके ज्यादातर राजनीतिक ठेकेदारों की है या चुनाव लड़ने के लिए जो चंदा देता है उनका है। यही कारण है कि सरकार को उन लोगों को फायदा पहुँचाने के लिए विशेष अभियान चलाती है। सरकार जिन एजेंसियों को नशा मुक्ति अभियान चलाने के लिए जिम्मेदारी देती है पहले उन एजेंसियों को नशा मुक्त करना चाहिए। यह तो वही बात हुई कि एक पीये हुए शऱाबी लोगों को शराब के अवगुण बता रहा है।