नौरोजाबाद,करकेली,पाली, में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार स्वास्थ्य विभाग की दिखावा के कार्यवाही

बंगाली डॉक्टर के बाद जिले में अब नेपाली डॉक्टर भी जमा रहे पाव, गांव में घूम घूम कर रहे दवाई

उमरिया -: जिले में समय समय पर जिला प्रशासन नशा माफिया रेत माफिया सहित अपराधियों पर लगातार कार्यवाही करता रहा है, वहीं दूसरी तरफ शहर में झोला छाप डॉक्टर भी माफिया उसी का रूप ले रहे हैं । अयोग्य चिकित्सकों द्वारा उमरिया जिले में अनिवार्य योग्यताओं व नियम कायदों को ताक पर रखकर गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ लगातार जारी है वाबजूद इसके स्वास्थ विभाग व जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अब तक कार्यवाही नही किया जाना कई संदेह पैदा करता है । जिले की तंग गलियों से लेकर मुख्य बाज़ारों तक झोलाछाप (गैर अहर्ताधारी) डॉक्टरों की भरमार बढ़ती ही जा रही है । आलम यह है कि एक-एक गली में दो चार क्लीनिक बेखौफ संचालित हो रहे हैं, बिना योग्य डिग्री के भी हर छोटे और बड़े मर्ज का इलाज इनके यहां होता है । कई स्थानों पर इन झोलाछाप डॉक्टरों ने अपनी क्लीनिक पर एम बी बी एस, एम डी, और सर्जन डॉक्टरों के नाम भी लिखवा रखे हैं, बिना किसी परीक्षण के मरीजों का इलाज करने वाले ये फ़र्ज़ी डॉक्टर इलाज के दौरान मरीज़ की हालत बिगड़ने पर हाथ खड़े कर देते हैं । किसी के नुकसान की इनको कोई परवाह नहीं है, इन झोलाछाप डॉक्टरों का लक्ष्य सिर्फ नोट बटोरना होता है और जिले में अपना नए नए आशियाना बनाते जा रहे है साथ ही आए दिन गरीब तबके के लोग इन डॉक्टरों के शिकार हो रहे हैं, जिससे उनकी जान से लगातार खिलवाड़ करते आ रहे है । पूर्व समय में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें गैर योग्यता प्राप्त झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से मरीजों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं, इसके बावजूद भी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं । शहर की गली और मुख्य सडकों पर क्लीनिक खोले झोलाझाप डाॅक्टरों पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। कई जगह तो कार्यवाही खानापूर्ति बनकर रह जाती है । यहीं कारण है कि झोलाझाप डाॅक्टर स्वास्थ्य विभाग से जरा भी नहीं डरते। झोला छाप डॉक्टरों के अंदर डर न होना स्वस्थ विभाग के ऊपर कई तरह के संदेहों वाले सवाल के घेरे में आ रहे है

गांव वाले गरीब होते हैं इनके शिकार

झाेलाझाप डाॅक्टरों का शिकार शहर काम करने वाले मजदूर और गांव में रहने वाले गरीब लोग हो रहे हैं, ये लोग इन डाॅक्टरों से 50 से 100 रुपये में दवा ले लेते हैं। जिसका खामयाजा कई बार उन्हें अपनी जान को जोखिम में डालकर चुकाना पडता है। पूर्व समय में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें झोलाझाप डाॅक्टरों की दवाइयों से मरीजों का मर्ज ज्यादा बिगड़ गया है। साथ ही कई लोग की इलाज के दौरान जान भी चली गयी पर इन पर स्वस्थ विभाग के द्वारा कभी भी कठोर कार्यवाही नही की गई

स्वास्थ्य विभाग का भी नहीं है कोई खौफ

जिले के सभी शहर से लगे पिछड़े इलाकों, व गांवों में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं । उन्हें पता है कि विभाग कभी छापेमारी करने नहीं आएगा चूंकि विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी सांठ-गांठ निरन्तर बनी रहती है। किसी शिकायत पर अगर छापेमारी हो भी जाती है तो इसकी जानकारी इन्हें पहले ही मिल जाती है। अवैध क्लीनिकों के अलावा ऐसे मेडिकल स्टोर भी सैकड़ों की संख्या में चल रहे हैं जो नियमोँ को पूरा नही करते व जिले में कुछ चुंनिन्दा मेडिकल स्टोरों पर इन्हें भारी मात्रा में मिलती है दवाइयां जो कि नियमो के विपरीत दवा का विक्रय किया जा रहा है, तो कहीं फार्मासिस्ट ही दुकान में मौजूद नहीं है । मुनाफे के रूप में नोटों के चंद टुकड़े कमाने के लालच में कई मेडिकलों से ही उपचार भी किया जा रहा है । यही नहीं इन मेडिकल स्टोर पर उन दवाइयों को भी आसानी से लिया जा सकता है जिन पर प्रतिबंध लगा है । बिना वैध चिकित्सीय पर्चों के सभी प्रकार की दवाओं का बेचना इनके लिए आम बात हो चली है ।

इन जगहों पर है सबसे ज्यादा झाेलाझाप डाॅक्टर

झोला छाप डॉक्टरों का यह गोरखधंधा जीले के इन शहर व गांव में फैला है गोरखधंधा जो उमरिया जिले के आस पास किरनताल निगहरि हरवाह बिलासपुर चंदिया नरोजाबाद में तो झोलाछाप डॉक्टरों का मानो मेला सजा हुआ है यहाँ बंगाली डॉक्टरों की हर सौ मीटर में क्लिनिक मिलती है पाली नगर के मेन मार्केट के साथ आस पास के गांव में जमाये है डेरा बता दें कि जिले के मलाचुआ,सुन्दरदार बकेली, छिन्दहा, सलैया,नौरोजाबाद करकेली, सहित जिलेभर में मकड़ी की जाल के भांति पनप रहे है झोलाछाप डॉक्टर । जिले में बंगाली डॉक्टरों के साथ अब नेपाली डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है

झापेमारी से पहले ही मिल जाती है जानकारी

सूत्रों का दावा है कि जिले के किसी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ जब भी किसी के द्वारा शिकायत पर छापेमारी की कार्यवाही की जाती है तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाॅक्टर अपनी दुकान बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं।