रुक्मणी विवाह की कथा सुनकर श्रद्धालु हुए भाव विभोर

दैनिक समाज जागरण विजेंद्र सिंह गुन्नौर



गुन्नौर क्षेत्र केअसदपुर गांव में सात दिवसीयश्रीमद भागवत कथा मैं छठे दिन भगवान श्री कृष्ण-रुक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी का वेश धारण किए बाल ,लीलाएं दिखाएं जिन पर श्रद्धालुओं भावक को होकर पुष्प वर्षा कर स्वागत कर विवाह के मंगल गीत गाकर नृत्य किया। बुधवार को ग्राम,असदपुर में श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के दौरान कथा सम्राट,विजय त्रिवेदी शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण की कई लीलाओं के बारे में वर्णन करते हुए कथा के महत्व के बारे में बताया। कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। शास्त्री जी ने विवाह का विस्तार पूर्वक वर्णन कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। इसी दौरान उमाकांत शर्मा ने बताया की यह परिवार तीन पीढ़ियों सेश्रीमद् भागवत कथा को सावन की गुरु पूर्णिमा से हर साल की जाती है,और,विजय त्रिवेदीने बताया की लगातार हमने 44 वर्ष से कथा को संपन्न कराते हैं मौके पर राकेश कुमार अतर सिंह सुनील, मानसिंह वर्मा सहितइस मौकेग्रामीण परहजार की संख्या में ग्रामीणों ने लिया कथा का आनंद मौजूद रहे।