सीमांचल/डा. रूद्र किंकर।
लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही कुर्ता-पाजामा के कारोबार में बढ़ोतरी हो गयी है। युवाओं में राजनेता का पारंपरिक ड्रेस पजामा-कुर्ता के प्रति दीवानगी देखी जा रही है। जो युवा आम दिनों में ब्रांडेड और डिजाइनर की जींस पैंट और फिल्मी स्टाइल की टी-शर्ट और शर्ट में दिखते थे, वही आज लिनेन व कॉटन कुर्ता और अलीगढ़ी पजामा में दिखने लगे हैं। बाजार में जिन कुर्ता-पाजामा की बिक्री नहीं के बराबर होती थी, उसकी बिक्री 60 फीसदी बढ़ गयी है। युवा सिल्क व कॉटन कपड़ा कारोबारी ने बताया कि एक साथ चुनाव, गर्मी व ईद आने से कुर्ता, पाजामा, गमछा व बंडी की बिक्री बढ़ गयी है। अचानक गर्मी बढ़ने के कारण गमछे की डिमांड बढ़ गयी।
चुनाव को लेकर युवा ही नहीं अन्य उम्र के लोग भी नेतागिरी को लेकर कॉटन का प्लेन कुर्ता व अलीगढ़ी पजामा पसंद कर रहे हैं। ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आ रहा है, रेडीमेड कुर्ता पाजामा की बिक्री बढ़ रही है। सिलाई व कपड़ा खरीदने की झंझट से मुक्त रहने के लिए रेडिमेड कपड़ों की सेलिंग ज्यादा है हां कुछ लोग फिटिंग के लिए परेशान रहते हैं। आधा घंटा में दर्जी उनका कुरता पाजामा फिट कर देता है। कुर्ता-पजामा सिलाई में 350 रुपये तक खर्च आता है। दर्जी को पहले जहां दो से चार सेट कुर्ता-पाजामा बनाना पड़ता था, अभी पांच से आठ सेट कुर्ता-पाजामा बनाना पड़ रहा है।