सेवा सहकारी समिति मर्या.पंकं.558 भरारी के लिपिक जगजीवन कुर्रे पर लगभग 80 लाख रुपए के गमन का आरोप



समाज जागरण संवाददाता विवेक देशमुख

बिलासपुर। मस्तूरी क्षेत्र के सेवा सहकारी समिति पंजीयन क्रमांक 558 भरारी में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला कम नहीं हो रहा है आए दिन यहां के प्रबंधक लोगों के ऊपर किसान शिकायत करते रहते हैं, सेवा सहकारी समिति के उप संचालक ने मस्तूरी क्षेत्र की सेवा सहकारी समिति के सीईओ के माध्यम से थाना पचपेड़ी में सेवा सहकारी समिति भरारी के लिपिक व प्रभारी संस्था प्रबंधक के पद पर रहे जगजीवन कुर्रे पर दस्तावेज, बहीखाता रोकड़ बही पंजी आदि को छिपाकर रखने और विभागीय अधिकारियों को निरीक्षण के दौरान गुमराह करने के साथ-साथ 7974961 रुपए के हिसाब नहीं देने के कारण उन पर विभागीय जांच कर गमन के आरोप में क्षेत्रीय थाना पर एफ आई आर करने के निर्देश दिए हैं जिसमें वर्तमान में पदस्थ संस्था प्रबंधक ने पचपेड़ी थाना में जाकर उनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करने का लिखित शिकायत किए है। 1 माह से अधिक हो जाने पर भी कोई भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से क्षेत्र के किसान शासन प्रशासन के इस रवैए से आक्रोशित है, जवाबदार अधिकारी इस मामले में घुमा फिरा कर पल्ला झाड़ने वाली कार्य कर रहे हैं। भरारी के इस प्रभारी संस्था प्रबंधक जगजीवन कुर्रे पर किसानों के साथ अभद्र व्यवहार करना, व मनमानी करना , धान खरीदी के समय टोकन के नाम पर किसानों से अवैध वसूली करने जैसे कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। फिर भी विभाग के जवाबदार लोगों की वजह से लंबे समय तक बड़ी शिकायत होने के बावजूद कोई उचित करवाई अभी तक नहीं हो पाई है।मामले पर क्या कहते हैं जवाबदार अधिकारी।

सेवा सहकारी समिति के उप संचालक मंजू पांडे का इस संबंध में कहना है कि विभागीय जांच और निरीक्षण के दौरान 7974961 रुपए गमन पाया गया है, जिसकी वजह से प्रभारी संस्था प्रबंधक पर एफआईआर करने के निर्देश दिया गया है आगे उस पर क्या करवाही करते हैं वह पुलिस विभाग ही बता पाएंगे।
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पचपेड़ी थाना प्रभारी मोहन भारद्वाज ने इस मामले में बताया कि सेवा सहकारी समिति वाले अपने विभागीय जांच कर हमें f.i.r. करने के लिए लिखित में शिकायत दिए हैं पुलिस विभाग की ओर से जांच पड़ताल चल रही है बहुत ही जल्द इस विषय एफ एफआईआर कर आगे की कार्रवाई किया जाएगा।
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भरारी के लिपिक और प्रभारी संस्था प्रबंधक रहे जगजीवन कुर्रे का कहना है कि पूर्व में रहे संस्था प्रबंधकों के द्वारा गड़बड़ी किया गया था जिसके कारण मैं ऑडिट में यह जवाब प्रस्तुत नहीं कर पाया, अभी संपूर्ण दस्तावेज की ऑडिट हो रही है इसके बाद ही सही निर्णय और सच्चाई सामने आएगी।