सफलता की कहानीगाय पालन कर आशा ने बदली परिवार की किस्मत

सिकटी/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

ये है अररिया जिले के सिकटी प्रखंड के भिड़भिड़ी पंचायत की रहने वाली आशा देवी। लाटखरीद गांव की रहने वाली आशा देवी की पहचान अब एक महिला उद्यमी के रूप में होती है। आशा समाज के लोगों लिए एक मिसाल बन चुकी है। ऐसा नहीं है कि ये शोहरत इन्हें आसानी से मिली है। इसके लिए इन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी है। आशा एक साधारण परिवार से आती हैं। स्नातक की पढ़ाई करने के दौरान इनकी शादी हो गई। पति बीएड पास हैं। लेकिन, स्थायी नौकरी नहीं होने से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल था। ऐसे में परिवार चलाने के लिए आशा को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। ससुराल आने के बाद इनकी स्नातक की पढ़ाई अधूरी ही रह गई। आशा ससुराल आने के बाद घर की जिम्मेदारियों से बंध कर रह गईं। पति भी बीएड की पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तलाश में लगे रहे। लेकिन, जब नौकरी मिलने में देर होने लगी तो इन्होंने भी खुद का व्यवसाय करना बेहतर समझा। लेकिन, व्यवसाय के लिए पूंजी की जरूरत होती है। जो इनके पास नहीं थी। आशा जीविका के स्वयं सहायता समूह से 2015 में जुड़ी थी। उसी वक्त से वह समूह की बैठकों में हिस्सा लिया करती थीं। जहां पंचसूत्रा का पालन करती थी। वहीं से बचत करने की आदत भी पड़ी। कोरोना काल में आशा ने समूह से 40 हजार रुपये लोन लेकर गाय खरीदा। पति-पत्नी दोनों ने मिलकर गाय पालने में काफी मेहनत की। दूध बेचकर पैसा जमा करना शुरू किया। कुछ ही दिनों में समूह के पैसों को चुकाकर इन्होंने दोबारा 40 हजार रुपये ऋण लिए। इन पैसों से इन्होंने दूसरी गाय खरीद ली। इसीतरह इस लोन को भी चुकाकर इन्होंने तीसरी बार ऋण के लिए आवेदन किया। समूह से तीसरी बार ऋण लेकर इन्होंने फिर से गाय खरीदी । आज इनके पास कुल 5 गायें हैं। गाय के अलावा इनके पास 7 बकरियां भी हैं। जिनको पाल कर आशा अपने परिवार का भरण-पोषण अब बेहतर ढंग से कर रही हैं। दूध की बिक्री कर वो पैसे भी जमा करने लगी हैं। जिसकी वजह से आर्थिक मजबूती के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी इनकी अलग पहचान बनी है। परिवार की हालत अब वो नहीं है जो कुछ महीने पहले हुआ करती थी। अब आर्थिक हालात में बदलाव आया है। परिवार में पति-पत्नी के अलावा एक लड़की और दो लड़के हैं। लड़की नौवीं में जबकि बड़ा लड़का चौथी और छोटा लड़का दूसरी क्लास में पढ़ाई करता है। पति-पत्नी दोनों मिलकर मेहनत कर रहे हैं। जिससे परिवार में खुशहाली आई है। आशा का कहना है कि इसीतरह अगर उन्हें जीविका से मदद मिलती रही तो वह आने वाले दिनों में दूध का बड़े स्तर पर व्यवसाय करना चाहती हैं। इसके लिए वो प्रयासरत भी हैं। इलाके की दूसरी महिलाएं भी इन्हें देखकर प्रेरित हो रही हैं। वो भी अब अपने दिन बदलने की ख्वाहिशें देखने लगी हैं।