ठगों ने नोएडा पुलिस को दिखाया ठेंगा, रिटायर्ड कर्नल के सीज बैंक खाते से 6 लाख रुपये निकाले

(देव मणि शुक्ल ब्यूरो प्रभारी)

नोएडा सेक्टर-29 निवासी रिटायर्ड कर्नल ए.के. राजपाल के बैंक खाते से साइबर ठगों ने छह लाख रुपये निकाल लिए थे। इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी को दिसंबर में गिरफ्तार कर यह दावा किया था कि रिटायर्ड कर्नल से ठगी गई रकम सीज करा दी गई है और यह पैसा तीन दिन में उन्हें वापस मिल जाएगा। मगर तीन माह से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी यह पैसा अभी तक उन्हें नहीं मिल सका है। पुलिस का दावा है कि ठगों के एक साथी ने पेटीएम के माध्यम से फ्रीज खाते से ही रकम निकाल ली। इसमें बैंककर्मियों की भी मिलीभगत है।
रिटायर्ड कर्नल ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए इस मामले की शिकायत कमिश्नर से की है। उनका कहना है कि पुलिस ने दावा किया था कि पैसा बैंक खाते में फ्रीज करा दिया गया है तो पैसा अभी तक उन्हें क्यों नहीं मिला है। उन्होंने पुलिस के कहने पर जनवरी में कोर्ट से पैसा उनके खाते में ट्रांसफर करने के आदेश करा दिए थे, लेकिन उसके बाद भी यह पैसा उन्हें नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक कर्मियों, पुलिस और आरोपियों की साठगांठ से पैसा गायब कर दिया गया है। कोई भी पुलिस अधिकारी स्पष्ट रूप से कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।

यह है मामला- नोएडा सेक्टर-29 निवासी रिटायर्ड कर्नल ए.के राजपाल के साथ अगस्त 2021 में साइबर ठगी हुई थी। 11 अगस्त की रात करीब 10.30 बजे उनके पास एक मैसेज आया, जिसमें उनकी एसएमएस सेवा बंद होने की सूचना दी गई। इसके कुछ देर बाद ही टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर आरोपी ने फोन कर कहा कि सेवा को फिर से शुरू कराने के लिए 11 रुपये का रिचार्ज कराना होगा। आरोपी ने दो ऐप डाउनलोड कराए। इसके बाद मोबाइल पर लिंक भेजा। लिंक खोलते ही आरोपी ने उनका मोबाइल हैक कर लिया और छह लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। पैसे ट्रांसफर होने का मैसेज आने पर उन्हें ठगी का पता चला। उन्होंने तुरंत पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने 24 दिसंबर को आरोपी चेतन प्रकाश उपाध्याय निवासी बीकानेर, राजस्थान को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का दावा था कि आरोपियों के बैंक खाते को सीज कर दिया गया है और तीन दिन में रिटायर्ड कर्नल से ठगे गए लाख रुपये वापस करा दिए जाएंगे।

बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

एडीसीपी रणविजय सिंह का कहना है कि आरोपी को पकड़ने के बाद उन्होंने बैंक खाता सीज करा दिया था, लेकिन इसके बाद आरोपियों के साथी ने पेटीएम से इस पैसे को अन्य जगह ट्रांसफर कर दिया। इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है और पुलिस ने उन्हें भी आरोपी बनाया है।