ब्यूरो चीफ़ सोनभद्र। समाज जागरण
सोनभद्र। चुर्क में रविवार दोपहर कवि दिलीप सिंह दीपक के आवास पर काव्य दीप साहित्य संस्था द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार अजय चतुर्वेदी काका के अध्यक्षता व अशोक तिवारी के संचालन में समसामयिक रंगोत्सव कवि गोष्ठी आयोजित किया गया। विधिवत मां सरस्वती को माल्यार्पण दीपदान पश्चात दिवाकर द्विवेदी मेघ की वंदना, तेरे चरण की वंदना मां हम सदा करते रहें सुनाकर आगाज किया। प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट निदेशक शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र ने, वीरों ने होली खूंनो से खेली फांसी चढे जै हिंद थी बोली, केसरिया रंग रंगा रसिया फागुन में,,,, सुनाया और वाहवाही बटोरी। सुधाकर पांडेय स्वदेश प्रेम ने खेलन आई होरी सुंदरी, खेलन आई होरी, सुनाया और सराहे गए। दयानंद दयालू ने सोनभद्र हमार उड़े जहां रंगवा अबीरिया सुनाया। धर्मेश चौहान ने, लगता है भंवरा बन कर पास तेरे आऊं जब तूं मुस्काती है सुनाया और गतिज ऊर्जा दिये। सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र ने आंसू और आह से संबंधित रचना सुनाया और करुण रस का संचार कर सबको भावविह्वल कर दिया। प्रभात सिंह चंदेल ने वीर रस की रचना सरहद के जवानों को समर्पित सुनाया और वाहवाही लूटी। संयोजक दिलीप सिंह दीपक ने रंग उड़ानें लगे मुरारी भस्म उड़ाते हैं त्रिपुरारी सुनाया और शमां बांध दिए।
जयराम सोनी ने हास्य व्यंग सुनाकर श्रोताओं को देर तक हंसाते रहे। ओजस्वी कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने अपनी रचना कितना सुन्दर देश हमारा , खुदा ने खुश होकर धरती पर खुद है स्वर्ग उतारा। सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया अशोक तिवारी ने, अदब से उल्फत है जुर्म तो फिर ए जुर्म हम सौ बार करेंगे सुनाया। मेघ दिवाकर द्विवेदी ने, बी ए पढै लागल बा बेटौवा हास्य व्यंग सुनाकर खूब हंसाते रहे।
दिव्या राय कवयित्री ने मत रोको सांवरिया घूंघट में मुझे नील गगन तक जाने दो सुनाकर नारी सशक्तिकरण पर चिंतन दिया। अध्यक्षता करते हुए अजय चतुर्वेदी काका ने, जनजन के मुड़े पर फागुन सवार हौ का करीं, होली क सबही पर चढल बुखार हौ का करीं सुनाया और गोष्ठी को विराम दिये।
इस अवसर पर निहाल यादव अश्विनी कुमार शुभम मुकेश अनुराग मोहित ऋषभ त्रिपाठी ठाकुर कुशवाहा पुरुषोत्तम कुशवाहा आदि रहे।