गैर-संचारी रोगों से जंग में एएनएम की भूमिका अहम

एनसीडी: एक छुपा खतरा, जिसे रोकना जरूरी

वीरेंद्र चौहान, समाज जागरण ब्यूरो किशनगंज।
13 फरवरी: आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के बावजूद गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर तेजी से बढ़ रहे हैं। इन रोगों की रोकथाम और समय पर प्रबंधन में जमीनी स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसी क्रम में, सदर अस्पताल, किशनगंज में एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) के लिए एनसीडी कार्यक्रम प्रबंधन पर पहला बैच का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह प्रशिक्षण एनसीडीओ (गैर-संचारी रोग अधिकारी) डॉ. उर्मिला कुमारी के निर्देशन में आयोजित किया गया, जिसमें जिले भर से आई एएनएम ने भाग लिया।
एनसीडी: एक छुपा खतरा, जिसे रोकना जरूरी

गैर-संचारी रोग धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करते हैं और अक्सर तब पहचान में आते हैं जब वे गंभीर अवस्था में पहुंच चुके होते हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, जागरूकता की कमी और नियमित स्वास्थ्य जांच का अभाव इन रोगों को और भी खतरनाक बना देता है। ऐसे में स्वास्थ्य उपकेंद्रों और गांव-गांव तक पहुंच रखने वाली एएनएम की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। वे प्राथमिक स्तर पर इन बीमारियों की पहचान करने, सही परामर्श देने और जरूरत पड़ने पर उचित चिकित्सा सुविधा तक मरीजों को पहुंचाने में अहम योगदान देती हैं।
प्रशिक्षण में क्या-क्या सिखाया गया?
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एएनएम को गैर-संचारी रोगों की पहचान, रोकथाम और प्रबंधन से संबंधित आवश्यक कौशल प्रदान करना था।
प्रमुख गतिविधियाँ:

✅ एनसीडी से जुड़ी बीमारियों की पहचान और प्रारंभिक जांच
✅ ब्लड प्रेशर मापन, शुगर टेस्टिंग, कैंसर स्क्रीनिंग की तकनीकें
✅ मरीजों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना
✅ जरूरतमंद रोगियों को सही समय पर उच्च स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाना
✅ डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रबंधन और रिपोर्टिंग सिस्टम की जानकारी
इस दौरान व्यावहारिक सत्र भी आयोजित किए गए, जहां एएनएम ने स्वयं जांच करने की प्रक्रिया सीखी और अभ्यास किया।
एएनएम: अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की कड़ी

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहली कड़ी एएनएम होती हैं। वे न केवल प्रसव और टीकाकरण जैसी सेवाएं देती हैं, बल्कि अब गैर-संचारी रोगों की रोकथाम में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।एनसीडीओ डॉ. उर्मिला कुमारी ने समापन सत्र में कहा, “गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण में एएनएम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रशिक्षण से वे अपने समुदाय में इन बीमारियों की समय पर पहचान कर उचित उपचार सुनिश्चित कर सकेंगी।”उन्होंने आगे कहा कि अगर शुरुआती स्तर पर ही इन रोगों की पहचान कर ली जाए, तो मरीजों को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है और बेहतर जीवन जीने का मौका दिया जा सकता है।
हर एएनएम होगी प्रशिक्षित
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की स्वास्थ्य विभाग की योजना है कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे भी चलाए जाएं, ताकि जिले के सभी स्वास्थ्यकर्मी एनसीडी प्रबंधन में दक्ष हो सकें। आने वाले महीनों में अगले बैच के प्रशिक्षण की तैयारी शुरू हो चुकी है।स्वास्थ्य विभाग ने इस सफल आयोजन के लिए सभी प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस तरह की पहल से समाज में गैर-संचारी रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और मरीजों को समय पर उपचार मिल सकेगा।गैर-संचारी रोगों की चुनौती से निपटने के लिए गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना जरूरी है। एएनएम को प्रशिक्षित कर स्वास्थ्य तंत्र की बुनियाद को मजबूत किया जा रहा है, जिससे अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावी रूप से पहुंच सकें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि अगर सही जानकारी और संसाधन मिले, तो एएनएम ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।

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