घोटाले और भ्रष्टाचार का पर्याय नकली गांधी परिवार–दिलीप पाण्डेय

उमरिया
अखबार समाज का आईना होता है l अखबारों के माध्यम से आम व्यक्ति को देश और समाज में हो रहे घटनाक्रम की जानकारी मिलती है l जिस अखबार की स्थापना देश की आजादी में लड़ने वाले लोगों की आवाज को मजबूत करने के लिए की गई थी, उसे गांधी परिवार ने निजी व्यवसाय में बदल दिया और अपने लिए एटीएम बना लिया।नेशनल हेराल्ड केस शुद्ध बिजनेस ट्रांजैक्शन का मामला है। तो वो कांग्रेस कैसे कह सकती हैं कि ये ED के कार्य क्षेत्र से बाहर है या ये किसी राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है?ये विषय 2012 में उठा, अक्टूबर 2013 में UPA सरकार के शासनकाल में एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर ये केस शुरू हुआ था। काग्रेश कोई पार्टी नही बल्कि एक नकली गांधी परिवार की जागीर है। किंतु भारत की संपत्ति उस परिवार की जागीर नही है। इनके एक एक कुकर्म का हिसाब होगा। निवर्तमान जिला भाजपा अध्यक्ष दिलीप पाण्डेय जी ने कहा कि सरकारी व प्राइवेट सपोर्ट तो छोड़िये अगर 10% कांग्रेस कार्यकर्ता इस अखबार को खरीदने को तैयार होते तो उसके बंद होने की नौबत नहीं आती। इसका मतलब है कि कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस का संचालन करने वाले लोग चाहते ही नहीं थे कि ये अखबार चले।कांग्रेस बचकानी विरोध-प्रदर्शन करके स्वयं को निर्दोष साबित नही कर सकती। यह देश कांग्रेस की निजी संपत्ति नहीं है, और न ही सोनिया गांधी या राहुल गांधी कानून से ऊपर हैं।यह मामला कोई नया नहीं है। इसकी शुरुआत 1 नवंबर 2012 को उस समय हुई थी जब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी। भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में यह शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को धोखाधड़ी से हथियाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक नई कंपनी बनाई, जिसमें दोनों की बड़ी हिस्सेदारी थी।शिकायत के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने AJL को 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण दिया। बाद में यह कर्ज केवल ₹50 लाख में यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया। इस लेन-देन के जरिए AJL की लगभग 2,000 करोड़ की अचल संपत्ति पर यंग इंडियन का नियंत्रण हो गया, जो मुख्यतः सोनिया और राहुल गांधी के स्वामित्व में थी। यह पूरी प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, और आयकर अधिनियम, 1961, का उल्लंघन था, क्योंकि राजनीतिक पार्टियां व्यावसायिक लेन-देन नहीं कर सकतीं। खैर इस प्रकरण में तो इस्पस्ट झलक रहा है कि यह सौदेबाजी निजीलाभ के लिए की गई है।
तब से कांग्रेस ने अपने वकीलों की पूरी फौज के साथ अदालतों—निचली अदालत, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय—से राहत पाने की कई कोशिशें कीं। लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही मिली। ट्रायल कोर्ट समन 26 जून 2014 को ट्रायल कोर्ट ने डॉ. स्वामी की शिकायत के आधार पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य को समन भेजा। आरोपियों ने इस समन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी।. दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज की गई। दिसंबर 2015 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें समन रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यंग इंडियन द्वारा AJL के अधिग्रहण से “आपराधिक मंशा” स्पष्ट होती है और प्रारंभिक चरण में ही कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता।सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही 12 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी, लेकिन कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया बाधित नहीं की जानी चाहिए और ट्रायल जारी रहेगा।इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन चुनौती (2018)आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2011–12 के लिए सोनिया और राहुल गांधी के टैक्स असेसमेंट को फिर से खोलने का निर्णय लिया, यह कहते हुए कि AJL अधिग्रहण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां छुपाई गईं। गांधी परिवार ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी। 10 सितंबर 2018 को कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और कहा कि यदि विभाग को लगे कि आय में हेरफेर हुआ है तो वह असेसमेंट फिर से खोल सकता है। प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट अप्रैल 2025 में प्रवर्तन निदेशालय ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की। एजेंसी का आरोप है कि आरोपियों ने एक शेल कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड से जुड़ी लगभग 2,500 करोड़ की संपत्ति अवैध रूप से हथिया ली।यह मामला अब भी अदालतों और जांच एजेंसियों की निगरानी में है। काग्रेशियो को न्यायालयों और जांच एजेंसियों को अपना काम करने देना चाहिये। इन्हें चाहिये कि घोटालेबाज़ों के हित मे खड़े होना बंद करे।
गांधी परिवार ने 90 करोड़ की संपत्ति सिर्फ 50 लाख में खरीद ली। एक अन्य सदस्य ने 3 करोड़ में जमीन खरीदी और बाद में उसका व्यवसायीकरण करके 58 करोड़ में बेच दिया। इसे ‘विकास का गांधी मॉडल’ कहा जाता है।सोनिया और राहुल गांधी फिलहाल जमानत पर हैं। उन्होंने जांच को खारिज करवाने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे। उन्हें केवल व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी गई थी। 1937 में 5,000 शेयरधारकों के साथ शुरू हुआ नेशनल हेराल्ड कभी भी नेहरू परिवार की निजी संपत्ति नहीं रहा। वित्तीय घाटे के कारण 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली AJL को 90 करोड़ रुपए दिए। हालांकि, पार्टी फंड का इस्तेमाल किसी निजी कंपनी के लिए करना प्रतिबंधित है।जब AJL ऋण चुकाने में विफल रही, तो इसकी मूल्यवान संपत्ति गांधी परिवार को हस्तांतरित करने के लिए एक कॉर्पोरेट साजिश रची गई। जिसका सीधा सीधा उद्देश्य गांधी परिवार को लाभ पहुचाना था। काग्रेश भ्रष्टाचार और घोटालों की पर्याय बन चुकी है। नकली गाँधीयो को बचाने इसके कार्यकर्ता चाहे जितना हो हल्ला करे अन्ततः कोर्ट से भ्रस्टाचारियो को सजा मिलकर ही रहेगी।

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