रमजान का दसवां रोजा है रहमत का शामियाना और बरकत का आशियाना – शरीफ रजा जामी

आई एम खान/दैनिक समाज जागरण ब्यूरो

बिसौली बदायूं। नगर की रजा मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मस्जिद के इमाम हाफिज शरीफ रजा जामी ने अपनी तकरीर में कहा कि चांद के दीदार के साथ दुनिया भर में मुक़द्दस माह रमजान की शुरुआत हो जाती है। यह महीना मोमिनो के लिए खुदा की तरफ से अजमत रहमत और बरकतों से भरा होता है। लेकिन अल्लाह ने इस मुबारक महीने को तीन अशरों में तकसीम किया है। पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है। दूसरा अशरा अपने गुनाहों की माफी मांगने का है, और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से अल्लाह की पनाह चाहने वाला है। दसवीं रमजान से दूसरा अशरा शुरू होगा। रमजान का पहला अशरा बेशुमार रहमत वाला है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा इबादत की जानी चाहिए। इसी तरह रमजान के दूसरे अशरे में अल्लाह से अपने गुनाहों की रो-रोकर माफी मांगनी चाहिए। हाफिज जामी साहब के मुताबिक रमजान का हर पल महत्व रखता है। मजहबी तौर पर तो इसके फायदे हैं ही, दुनियावी तौर पर भी रमजान हमें वक्त की पाबंदी, वक्त की कीमत, सच्चाई की कद्र, परहेजगारी, बड़ों का आदर, गरीबों पर रहम आदि कई चीजें सिखाता है। यह महीना नेक काम करने और बुराई से बचने का अभ्यास कराता है। कार्यक्रम में मौजूद लोगों के साथ देश की तरक्की और अमन के लिए दुआएं कराई। जामी साहब ने नबी की सुन्नतों पर अमल करने, अल्लाह को याद रखने और इंसानियत के रास्ते पर चलने की सलाह दी। इस दौरान हाफ़िज़ मो. अहमद, मस्जिद के सदर हाजी रफीक अहमद, हनीफ कुरैशी, रियासत कुरैशी, नाजिम कुरैशी, चांद मंसूरी, जावेद कुरेशी आदि मौजूद रहे।

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