छातापुर विधानसभा सीट से हो सकते हैं उम्मीदवार,महागठबंधन को होगा बड़ा लाभ
छातापुर/डा. रूद्र किंकर वर्मा
बिहार की राजनीति में एक नई हलचल मच गई है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने ‘सन ऑफ मिथिला’ के नाम से प्रसिद्ध समाजसेवी संजीव मिश्रा पर अपनी नजरें टिका दी हैं। 7 दिसंबर को मुकेश सहनी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने की घोषणा कर सकते हैं, जिससे छातापुर विधानसभा सीट से उनके उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हो सकता है। संजीव मिश्रा की समाज में गहरी पैठ और व्यापक लोकप्रियता को देखते हुए, यह कदम महागठबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक रणनीति साबित हो सकता है, विशेषकर कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल के क्षेत्रों में।
संजीव मिश्रा की बढ़ती राजनीतिक पहचान
स्थानीय राजनीति में संजीव मिश्रा की सशक्त उपस्थिति को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि उनका चुनावी प्रभाव उनके समाजसेवी कार्यों और समुदाय में गहरे जुड़ाव के कारण बढ़ा है। जहां अधिकांश नेता दलीय नेतृत्व के पास जाकर उम्मीदवारी का आग्रह करते हैं, वहीं संजीव मिश्रा के मामले में यह स्थिति पूरी तरह उलट है। उनका प्रभाव इतना गहरा है कि चुनावी उम्मीदवार बनने के लिए राजनीतिक दलों की ओर से उन्हें खुद आग्रह किया जा रहा है। यह उनकी बढ़ती राजनीतिक पहचान और समाज में व्यापक स्वीकार्यता को साबित करता है।
महागठबंधन को मिलेगा मजबूती
मुकेश सहनी ने महागठबंधन के भीतर अपने गठबंधन को मजबूती देने का संकल्प लिया है, जिसमें उनका प्रमुख उद्देश्य तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है। इसके साथ ही, वह भाजपा से अपने राजनीतिक प्रतिशोध को भी लेकर सक्रिय हैं। संजीव मिश्रा का वीआईपी में शामिल होना महागठबंधन के लिए एक बड़े राजनीतिक लाभ की तरह साबित हो सकता है। उनके शामिल होने से महागठबंधन की स्थिति कोसी और सीमांचल क्षेत्रों में मजबूत हो सकती है, जो चुनावी समीकरण को नया मोड़ दे सकता है।
नेपाल में मिला सम्मान और मुकेश सहनी का समर्थन
संजीव मिश्रा को हाल ही में नेपाल में उनके समाज सेवा कार्यों के लिए सम्मानित किया गया, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनी। पनोरमा स्पोर्ट्स सीजन 7 के समापन समारोह में वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने उनकी सराहना करते हुए उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। यह संकेत है कि संजीव मिश्रा का राजनीति में कदम महागठबंधन को नई दिशा और ताकत दे सकता है।
संजीव मिश्रा की सामाजिक और राजनीतिक भूमिका
संजीव मिश्रा, जो पनोरमा ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, रियल एस्टेट, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उनका कार्यक्षेत्र केवल ब्राह्मण समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि वह विभिन्न जाति और समुदायों को साथ लेकर काम करते हैं। उनके नेतृत्व में समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा मिलता है। यही कारण है कि उन्हें विभिन्न जातियों और समुदायों में व्यापक समर्थन मिलता है।
उनकी राजनीति में समानता, समाजवाद और समरसता की भावना को देखते हुए, महागठबंधन को भी चुनावी सफलता की उम्मीद हो सकती है। उनका समाज में गहरा प्रभाव महागठबंधन के लिए एक मजबूत रणनीतिक फायदा हो सकता है।
वीआईपी में शामिल होना महागठबंधन के लिए लाभकारी
यदि संजीव मिश्रा 7 दिसंबर को वीआईपी में शामिल होते हैं, तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीति के लिए, बल्कि पार्टी के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उनकी लोकप्रियता और समाज में सम्मान का लाभ वीआईपी को कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल में ब्राह्मण मतदाताओं के रूप में मिल सकता है, जिससे महागठबंधन के वोट बैंक में इजाफा हो सकता है साथ ही, मुकेश सहनी का भा.ज.पा. से प्रतिशोध और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प संजीव मिश्रा के राजनीतिक प्रभाव से और सशक्त हो सकता है।
संजीव मिश्रा का समाज में गहरा प्रभाव, समाज सेवा के प्रति उनका समर्पण और उनके नेतृत्व की विशेषता उन्हें राजनीति में एक सम्मानित चेहरा बना चुकी है। उनकी उपस्थिति महागठबंधन के लिए एक रणनीतिक जीत साबित हो सकती है, जो तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने के अभियान को भी मजबूती दे सकती है।