एआईएमआईएम से चुनाव लड़ेंगे पूर्व सांसद सरफराज आलम?

ओवैसी पार्टी के नेताओं के साथ एक दौर की हुई बैठक,सरफराज के जरिए पार्टी शाहनवाज आलम से ले सकेगी बदला

चार विधायकों के राजद में जाने से टूट गई थी एआइएमआइएम की कमर

सरफराज थाम सकते हैं बैरिस्टर ओवैसी का हाथ

“आपके द्वारा सौंपी गई सियासी विरासत को आगे बढ़ाते हुए सदैव आपके नीति और सिद्धांत पर चलता आया हूँ औऱ आगे भी आपके हीं पद चिन्हों पर चलता रहूँगा। आप ना कभी झुके ना कभी थके तो मैं आपका औलाद ही नहीं सियासी शागिर्द भी हूं कैसे झुकूंगा? मिटना कुबूल है पर आपके सिद्धांतों के साथ समझौता कदापि कुबूल नहीं।” सरफराज का पोस्ट

पटना/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

राजद टिकट से वंचित अररिया के पूर्व सांसद जनाब सरफराज आलम का दर्द छलका। अपने फेस बुक वाल पर अपने अब्बा सीमांचल के गांधी पूर्व गृह राज्यमंत्री मरहूम तस्लीमुद्दीन के साथ अपनी फोटो पोस्ट करते हुए लिखा कि “आपके द्वारा सौंपी गई सियासी विरासत को आगे बढ़ाते हुए सदैव आपके नीति और सिद्धांत पर चलता आया हूँ औऱ आगे भी आपके हीं पद चिन्हों पर चलता रहूँगा। आप ना कभी झुके ना कभी थके तो मैं आपका औलाद ही नहीं सियासी शागिर्द भी हूं कैसे झुकूंगा? मिटना कुबूल है पर आपके सिद्धांतों के साथ समझौता कदापि कुबूल नहीं।” इसके बाद से हीं क्षेत्र में ऊहापोह
की स्थिति है।

मजबूत प्रत्याशी की खोज में लगे एआइएमआइएम को थी सरफराज की तलाश
अररिया संसदीय सीट से
प्रमुख गठबंधनों से उम्मीदवार का चेहरा सामने आ जाने के बाद अररिया सीट से चुनाव लड़ाने के लिए सरफराज आलम पर डोरा डालना शुरू कर दिया है। ए आई एम आई एम के जिलाध्यक्ष जनाब रहमत अली की अगुआई में प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान के थिंक टैंक में शामिल और उनके कुछ बहुत करीबी रिश्तेदार ने सरफराज आलम से उनके घर आकर मिला काफ़ी देर उन सबों के साथ उनकी बातचीत हुई। लेकिन क्या बातें हुईं वो उभरकर अभी सामने तो नहीं आई मगर टिकट न मिलने की खबर फैलने के तुरंत बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जो प्रतिक्रिया दी उस से कुछ ऐसा ही इशारा मिलता है। पोस्ट में लिखा गया कि राजद ने सरफराज आलम के साथ विश्वासघात किया है। इस पोस्ट ने अटकलों के बाजार को और गर्म कर दिया है।

सासंद विधायक और मंत्री रह चूके हैं सरफराज
राजनीति का लंबा तजुर्बा रखने वाले सीमांचल के गांधी तसलीम साहब के पुत्र विधायक से लेकर मंत्री एवम संसद रह चूके हैं।1996 के उपचुनाव में सबसे पहले बने विधायक सरफराज आलम 1996 में पहली बार जोकीहाट विस क्षेत्र से राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़े और जीत दर्ज की। इसके बाद 2000 में हुए विस चुनाव में भी राजद से जोकीहाट के विधायक बने। लेकिन वर्ष 2005 में हुए दो बार के चुनाव में जदयू के मंजर आलम के हाथों पराजित हो गए। जबकि वर्ष 2010 और 2015 में जदयू से जोकीहाट के विधायक बने। जबकि वर्ष 2017 में तत्कालीन सांसद पिता तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में हुए लोस उप चुनाव में राजद के टिकट पर जीत मिली।
सरफराज आज तोड़ेंगे चुप्पी चुनाव लड़ने का करेंगे ऐलान

ईद के दूसरे दिन जनता के समक्ष राजद द्वारा ली गई फैसले को सामने रख अपने कार्यकर्ताओं की सलाह पर पूर्व संसद आज चुप्पी तोड़ेंगे। क्योंकि उनको आभाष है कि आगामी विधानसभा सीट में भी ये अड़चने आएगी। बता दें कि जोकीहाट विधानसभा में राजद के टिकट लेने में बड़े भाई ने छोटे भाई को मात दी थी तो लोकसभा चुनाव में छोटे भाई ने बड़े भाई को मात दे दी। वे अवसर गवाना नहीं चाहते।
विधानसभा में राजद के टिकट लेने में बड़े भाई ने छोटे भाई को मात दी थी तो लोकसभा चुनाव में छोटे भाई ने बड़े भाई को मात दे दी।

अररिया संसदीय सीट में है 42.9 प्रतिशत मुस्लिम आबादी
बीते विधानसभा चुनाव में सीमांचल में ओवैसी जलवा देखने को मिला था।आंकड़ों के मुताबिक अररिया संसदीय क्षेत्र में 56.6 प्रतिशत हिन्दू हैं,तो मुस्लिम आबादी 42.9 प्रतिशत है। डोरा डाल रहे ओवैसी की पार्टी से पूर्व सांसद सरफराज आलम का मन
डोल जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं।