वाह रे बिहार ! पार्ट : -4

गर्दन पर लटका है एससी एसटी एक्ट एवं महिला उत्पीड़न की तलवार !! कराह रहे है जनता, बुद्धिजीवी और पत्रकार !!!

लूट की राशि से मालामाल होते जा रहे हैं थानेदार, पंचायती राज्य ब्यवस्था के अधिकारी एवं पंयायत सरकार!!!! वाह रे बिहार!!!!!

दैनिक समाज जागरण, अनिल कुमार मिश्र ,ब्यूरो चीफ बिहार -झारखंड प्रदेश।

बिहार प्रदेश के औरंगाबाद जिले में पंचायती राज व्यवस्था की एक झलक , आज बिहार-सरकार को चक्का -चौंध करने वाला है/ चौंकाने वाला है! लूट की राशि से मजबूत होते अपराधिक ढ़ाँचे के हकियत को समाचार के माध्यम से बिहार- सरकार एवं प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष रखा गया है । जिसे पढ़कर सभी हैरान तो अवश्य हो जायेगें। भले ही परिणाम शून्य हों!

आतंकियों से भी क्रूर है थानेदार ! से संबंधित प्रकाशित समाचार पर पुलिस महानिदेशक बिहार प्रदेश द्वारा जाँच के आदेश को जब भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा दिया जाता है तो जांच, कार्रवाई तथा न्याय की बात करना ही बेईमानी होगा फिर पत्रकार होने के नाते मैं अपने कर्तव्यों को पालन करता हूं ,और पंचायत सरकार की एक झलक आपके समक्ष लेखनी के माध्यम से रखने का प्रयास किया जा रहा है।

मनरेगा कहुँ या नरेगा कहुँ, का ज्वलंत उदाहरण देख लीजिए ,यह किसके लिए बना हुआ है ,योजना केवल कागज के पन्नो पर लिया जाता है और बरसात का इंतजार किया जाता है । बारिश होते ही मिट्टी वर्क का सभी राशि की निकासी कर ली जाती है ,यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। मनरेगा के मजदूरों का सूची में वैसे लोगो का नाम शामिल है जो बच्चा प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में पढ़ रहा है, उनके खाते में मनरेगा का पैसा को डालकर उनके घर लोग पहूंचते हैं। 100 से 200 रुपया उनके माता पिता को देकर ,सारे के सारे पैसा का निकासी करा लेते हैं।

मनरेगा / नरेगा की सूची में नेत्रहीनों, विकलांग, अंधे और लंगड़े का नाम भी शामिल है, उन्हें भी 200 दो सौ रूपया देकर सारे के सारे पैसा ले लिया जाता है।

जन शिकायत के बाद भी भ्रष्टाचार की खेल में जुटे लोगों के विरुद्ध किसी तरह का कोई भी कार्रवाई नहीं होता है, आखिर यह जो राशि लूटा जा रहा है और लूट की राशि का सरेआम जनता के विरुद्ध ही दुरुपयोग किया जा रहा है, इसके लिए जिम्मेवार कौन है?

हमारा काम है , सरकार ,संबंधित प्रशासनिक पदाधिकारी के वरीय पदाधिकारियों , सभी जात, धर्म ,संप्रदाय के लोगों को जगाना हैं।

पत्रकार होने के नाते हम अपने कर्तव्य की पालन,लाठी डंडा, खाकर एवं गाली सुनकर भी करते हैं, झूठे मुकदमे की आड़ में प्रताड़ित होकर भी करते हैं। 6 किता से अधिक एससी एसटी एक्ट, एक महिला के साथ छेड़खानी तथा प्रशासन से रंगदारी मांगने जैसे मिथ्या आरोप में मुकदमे को झेलते आ रहे हैं। कई एससी एसटी एक्ट का ऐसे कैसे हैं जिसमें केस के सूचक को स्वयं पता नहीं है कि हमने पत्रकार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।

राजेश पासवान जी आपने एससी एसटी परिवार के लिए पुरा जीवन को समर्पित करने के वावजूद भी दैनिक समाज जागरण समाचार पत्र में प्रतिदिन “वाह रे बिहार” पार्ट 1 से 3 तक प्रकाशित समाचार की समीक्षा किया और सभी वादों से ऊपर उठकर आपने सच्चाई को रखा है जिसके के लि पीड़ित पत्रकारों एवं दैनिक समाचार पत्र की ओर से मैं सबसे पहले आपको धनबाद ज्ञापन करना चाहता हूं।

जहां तक आपका सवाल हैं सरकार जाएगा या नहीं?

सरकार आने और जाने की बात जहाँ तक हैं, वह जनता पर निर्भर करता है। कब तक जनता जुल्म सह पाएगी, उसके ऊपर निर्भर है ! सर से पानी जड उपर पार करने लगता है तो पतन निश्चित है। शेष अगले अंक गतांक से आगे…..