वाह रे बिहार ! पार्ट : -8

गर्दन पर लटका है एससी एसटी एक्ट एवं महिला उत्पीड़न की तलवार !! कराह रहे है जनता, बुद्धिजीवी और पत्रकार !!!

लूट की राशि से मालामाल होते जा रहे हैं थानेदार, पंचायती राज्य ब्यवस्था के अधिकारी एवं पंयायत सरकार!!!! वाह रे बिहार!!!!!

दैनिक समाज जागरण, अनिल कुमार मिश्र ,ब्यूरोचीफ बिहार- -झारखंड प्रदेश /धनंजय कुमार विधि संवाददाता/ सत्य प्रकाश नारायण सहायक विधि संवाददाता बिहार- झारखंड ।

बिहार प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था की एक झलक,आज और भी बेहद चौंकाने वाला है। पत्रकारों का सर्वेक्षण में उद्देश्यों से भटक चुके अधिकारियों , थानेदारों एवं इनके चहेते क्षेत्रीय दवंग लोगो एवं असमाजिक तत्वों को जिले के तमाम वरीय प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारी संरक्षण प्रदान करते नजर आ रहे है।

औरंगाबाद जिले के संबंधित थाना का 2000 से 2023 तक, यानी 23 वर्षो का सर्वेक्षण रिपोर्ट में अम्बा थाना एवं नगर थाना औरंगाबाद के पदेन थानाध्यक्ष , विभिन्न केस के आईओ और इनके अनैतिक कार्यो के संरक्षक पुलिस पदाधिकारी की भूमिका संदेहास्पद पाया गया है। और अधिकांश प्रकरण में पुलिस द्वारा असामाजिक तत्वों एवं लुटेरे वर्ग को बचाने की भूमिका निभाई गई है। ऐसा एक नहीं अनेकों और दर्जनों प्रमाण मीडिया / संवाददाता के पास हैं ।

पुलिस पब्लिक मैत्री पर पुलिस विभाग के तमाम आलाधिकारी कहते हैं की जनता के बीच विश्वास को स्थापित करने के लिए पुलिस द्वारा पब्लिक पुलिस मैत्री का आयोजन किया जाता है। वरीय पदाधिकारी के दिशा निर्देश पर जिले के लगभग सभी थाना में पुलिस पब्लिक मैत्री के तहत खेल का आयोजन हो चुका है और होते आ रहा है, जिसमें पब्लिक/ जनता कम थाने के चाटुकार और दलाल अधिकांश भाग लेते हैं। जिसका ज्वलंत उदाहरण औरंगाबाद जिले के अम्बा थाना में आयोजित शांति सह निगरानी समिति की बैठक पंजी एवं थाना में लगे सीसीटीवी कैमरा है।

अगर यह कहां जाए की सभी थाना में आयोजित होने वाले शांति सह निगरानी समिति की बैठक में अधिकांश वही लोग भाग लेते हैं और थाना द्वारा उन्हीं लोगों को बुलाया जाता है जो दिन रात थानाध्यक्ष के ईर्द-गिर्द घूमते हैं, रहते हैं तथा दिन-रात थाना के चक्कर लगते हैं ,थाने में आते -जाते रहते हैं। और जो थाना कहता है वही कहते भी हैं और करते भी है।

वाह रे बिहार पार्ट :- 01 से 07 का प्रकाशन दैनिक समाज जागरण समाचार पत्र में हो चुका है, सभी प्रकाशित समाचार का प्रति जिले के वरीय पदाधिकारियों को सोशल मीडिया व्हाट्सएप तथा ईमेल के माध्यम से उपलब्ध करा दिया गया है, फिर भी एक भी अधिकारी , प्रकाशित समाचार पर अपना पक्ष रखने को तैयार नहीं हैं, आखिर क्यो?

अगर यूं कहां जाए कि बिहार प्रदेश के औरंगाबाद जिला में प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में जनता, बुद्धिजीवी एवं
कर्तव्य निष्ठ पत्रकार लूटे जा रहे है और सरकारी संपदा एवं वन संपदा की लूट सरेआम होती आ रही है तथा सरकारी खजाने एवं वन संपदा तथा सरकार प्रायोजित योजनाओं को लूटने का कार्य किया जा रहा है । वही अनैतिक रूप से पद प्राप्त कर चुके लोगों द्वारा प्रावधानों के विरुद्ध वेतन के नाम पर सरकारी खजाने लूटे जा रहे हैं , तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यही कारण है की आम जनता कहीं पुलिस पर पत्थर बरसा रही है तो कहीं पुलिस डंडा भाज रही है ! वार प्रति बार का दौर चल रहा है ! यह सब घटना घटी होंने के बावजूद भी वरीय पदाधिकारी के द्वारा किसी भी प्रकार का प्रतिक्रिया ना देना , कार्रवाई ना करना, उनके गंदे मानसिकता को दर्शाता है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की आम जनता न्याय के लिए जाए तो कहां जाए ? शेष अगले अंक , गतांक से आगे….