समाज जागरण पटना जिला संवाददाता:- वेद प्रकाश
पटना:- जिले के पालीगंज प्रखण्ड संसाधन केंद्र परिसर में सोमवार को प्रखण्ड क्षेत्र के सभी शिक्षकों की ओर से नए पदस्थापित प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी के योगदान के बाद स्वागत समारोह का आयोजन किया गया।
जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व पटना जिले के पालीगंज प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी सरस्वती कुमारी पांडेय का तबादला हो गयी है। जिनके स्थान पर नए प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी के रूप में अजय कुमार त्रिवेदी ने योगदान लिया है। जिनके पहले दिन कार्यालय पहुंचते ही सोमवार को स्थानीय शिक्षकों ने स्वागत समारोह का आयोजन कर जोरदार स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भूतपूर्व तथा वयोवृद्ध शिक्षक जुदागी बाबू तथा मंच संचालन कुरकुरी मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह डीडीओ पालीगंज हैदर अहमद खान ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत शिक्षिका उषा कुमारी, रीता देवी के स्वागत गीत के साथ किया गया। इस दौरान राजू कुमार ने बाद्य यंत्र पर सहयोग दिया। मौके पर शिक्षकों ने नए प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार त्रिवेदी को पुष्प माला, मोमेंटो, गुलदस्ते तथा शॉल देकर स्वागत किया। जबकि अन्य सभी अतिथियों को शिक्षकों ने पुष्पमाला तथा अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। वही नए शिक्षा पदाधिकारी से लोगो के मन मे शिक्षा में सुधार करने की उम्मीदें जगी है। मौके पर शिक्षक संघ के पटना जिला सचिव विमल कुमार, प्रखण्ड सचिव मिथिलेश कुमार, अध्यक्ष शशि कुमार, संजय कुमार, अम्बुज कुमार, मुंद्रिका राम, अजित पांडेय, प्रमोद कुमार, नवीन कुमार, जयप्रकाश सिंह,, शिव कुमार, प्रेम कुमार, पंचम मिश्रा, नीरज कुमार, नवीन कुमार, पिन्टू कुमार, मो. चांद व विष्णु शंकर सहित अन्य लोग मौजूद थे।
ज्ञात हो कि बिहार में शिक्षा ब्यवस्था को शुदृढ़ करने को लेकर शिक्षा बिभाग के अपर मुख्य सचिव का रवैया शख्त है। वही देखा जाए तो प्रखण्ड क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा की लचर व्यवस्था दिखाई दे रही है। सरकार के शख्त रवैये को देखकर विद्यालयों में नियमित रूप से समयानुसार शिक्षकों को आना जाना शुरू हो चुकी है। लेकिन शिक्षण कार्यो को रुचि नही दिख रही है। कुछ ही विद्यालयों के गिने चुने शिक्षकों में सही तरीके से बच्चों को पढ़ाने के प्रति रुचि जगी है। कुछ विद्यालयों में तो रोस्टर के अनुसार बच्चों को मध्याह्न भोजन भी नसीब नही हो पा रहा है। जिसे देख इलाके के बुद्धिजीवियो का कहना है कि आज शिक्षकों के मन मे बच्चों के पढ़ाई के प्रति उदासीनता नही होती तो पूर्व की तरह आज भी पूजे जाते। आज वैसे कई सरकारी शिक्षक देखने को मिल रहे है जिनके द्वारा संचालित निजी शिक्षण संस्थानों में पैसे देकर भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चे पहुंच रहे है लेकिन वही शिक्षक जिन सरकारी विद्यालयों में पढ़ाते है वही मुफ्त में भी शिक्षा प्राप्त करने बच्चे जाते है। आखिर क्यों? कुछ तो विशेष कारण होगी। इन बातों पर भी बिभाग के अधिकारियों को ध्यान देना आवश्यक है। कही बिभाग के नजर में आदर्श शिक्षक बनने के लिए योग्यता की अहमियत न होकर डिग्री की अहमियत तो नही है? यदि योग्यता की अहमियत नही होकर डिग्री की अहमियत है तो यह बिभाग के लिए दुर्भाग्य है।