प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने लिया प्रशिक्षण
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बोले- ‘सामूहिक प्रयास से ही एनीमिया को हराया जा सकता है’
वीरेंद्र चौहान, समाज जागरण ब्यूरो किशनगंज।
17 दिसंबर। एनीमिया, जो महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और रक्त की कमी के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, के समाधान के लिए किशनगंज जिले में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। सदर अस्पताल में आयोजित इस प्रशिक्षण में बहादुरगंज, टेढ़ागाछ और कोचाधामन प्रखंड के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, महिला पर्यवेक्षिका, बीआरपी एवं लेखपाल ने भाग लिया।प्रशिक्षण का उद्घाटन जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह नोडल अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने किया। उन्होंने प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बताते हुए कहा, “सभी विभागीय अधिकारियों को तकनीकी जानकारी और टूलकिट के माध्यम से एनीमिया की रोकथाम और उपचार के लिए सक्षम बनाना है। इस अभियान का सफल संचालन सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।”
समाज के हर वर्ग को मिलेगा लाभ
प्रशिक्षण में बताया गया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत विभिन्न आयु वर्गों के लिए नि:शुल्क दवाइयां वितरित की जाती हैं:
06 माह से 59 महीने तक के बच्चे: सप्ताह में दो बार आईएफए दवा।
05 से 09 वर्ष के बच्चे: हर सप्ताह गुलाबी आईएफए गोली।
10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियां: हर हफ्ते नीली आईएफए गोली।
20 से 24 वर्ष की महिलाएं: प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं के लिए हर सप्ताह लाल आईएफए गोली।गर्भवती व धात्री महिलाएं: गर्भावस्था के चौथे महीने से लेकर प्रसव के बाद 180 आईएफए गोलियों का सेवन।
सिविल सर्जन ने किया जागरूकता पर जोर
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “एनीमिया से निपटने के लिए विभागीय समन्वय के साथ समुदाय को जागरूक करना सबसे अधिक जरूरी है। इस तरह के प्रशिक्षण सत्र से अधिकारियों और कर्मियों को सही दिशा मिलती है, जिससे वे जमीनी स्तर पर बेहतर कार्य कर सकते हैं। हमारा लक्ष्य है कि एनीमिया के खतरों को कम करते हुए, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और बच्चों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की जाए।”
प्रशिक्षण में सभी विभागों की भागीदारी
डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि बहादुरगंज, टेढ़ागाछ और कोचाधामन प्रखंड के विभिन्न अधिकारियों जैसे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, महिला पर्यवेक्षिका, बीआरपी और लेखपाल की सक्रिय भागीदारी ने इस कार्यक्रम को विशेष बनाया। सभी प्रतिभागियों ने अभियान को सफल बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की प्रतिबद्धता जताई।
एनीमिया को हराने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी
नोडल पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है कि सभी विभागीय अधिकारी और कर्मी एनीमिया की पहचान, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मियों की सहभागिता से यह अभियान व्यापक स्तर पर सफल हो सकता है।प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में एनीमिया मुक्त भारत अभियान को गति देंगे। इसके तहत नियमित जांच, दवा वितरण और जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा। सत्र का समापन करते हुए अधिकारियों ने कहा कि एनीमिया मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए जागरूकता और सतत प्रयास ही सफलता की कुंजी है।”एनीमिया मुक्त भारत अभियान: जागरूकता और प्रशिक्षण से सुधरेगा स्वास्थ्य स्तर”
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने लिया प्रशिक्षण
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बोले- ‘सामूहिक प्रयास से ही एनीमिया को हराया जा सकता है’
वीरेंद्र चौहान, समाज जागरण ब्यूरो किशनगंज।
17 दिसंबर। एनीमिया, जो महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और रक्त की कमी के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, के समाधान के लिए किशनगंज जिले में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। सदर अस्पताल में आयोजित इस प्रशिक्षण में बहादुरगंज, टेढ़ागाछ और कोचाधामन प्रखंड के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, महिला पर्यवेक्षिका, बीआरपी एवं लेखपाल ने भाग लिया।प्रशिक्षण का उद्घाटन जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह नोडल अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने किया। उन्होंने प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बताते हुए कहा, “सभी विभागीय अधिकारियों को तकनीकी जानकारी और टूलकिट के माध्यम से एनीमिया की रोकथाम और उपचार के लिए सक्षम बनाना है। इस अभियान का सफल संचालन सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।”
समाज के हर वर्ग को मिलेगा लाभ
प्रशिक्षण में बताया गया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत विभिन्न आयु वर्गों के लिए नि:शुल्क दवाइयां वितरित की जाती हैं:
06 माह से 59 महीने तक के बच्चे: सप्ताह में दो बार आईएफए दवा।
05 से 09 वर्ष के बच्चे: हर सप्ताह गुलाबी आईएफए गोली।
10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियां: हर हफ्ते नीली आईएफए गोली।
20 से 24 वर्ष की महिलाएं: प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं के लिए हर सप्ताह लाल आईएफए गोली।गर्भवती व धात्री महिलाएं: गर्भावस्था के चौथे महीने से लेकर प्रसव के बाद 180 आईएफए गोलियों का सेवन।
सिविल सर्जन ने किया जागरूकता पर जोर
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “एनीमिया से निपटने के लिए विभागीय समन्वय के साथ समुदाय को जागरूक करना सबसे अधिक जरूरी है। इस तरह के प्रशिक्षण सत्र से अधिकारियों और कर्मियों को सही दिशा मिलती है, जिससे वे जमीनी स्तर पर बेहतर कार्य कर सकते हैं। हमारा लक्ष्य है कि एनीमिया के खतरों को कम करते हुए, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और बच्चों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की जाए।”
प्रशिक्षण में सभी विभागों की भागीदारी
डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि बहादुरगंज, टेढ़ागाछ और कोचाधामन प्रखंड के विभिन्न अधिकारियों जैसे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, महिला पर्यवेक्षिका, बीआरपी और लेखपाल की सक्रिय भागीदारी ने इस कार्यक्रम को विशेष बनाया। सभी प्रतिभागियों ने अभियान को सफल बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की प्रतिबद्धता जताई।
एनीमिया को हराने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी
नोडल पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है कि सभी विभागीय अधिकारी और कर्मी एनीमिया की पहचान, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मियों की सहभागिता से यह अभियान व्यापक स्तर पर सफल हो सकता है।प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में एनीमिया मुक्त भारत अभियान को गति देंगे। इसके तहत नियमित जांच, दवा वितरण और जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा। सत्र का समापन करते हुए अधिकारियों ने कहा कि एनीमिया मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए जागरूकता और सतत प्रयास ही सफलता की कुंजी है।